"इतिहास - दृष्टि बदल चुकी है...इसलिए इतिहास भी बदल रहा है...दृश्य बदल रहे हैं ....स्वागत कीजिए ...जो नहीं दिख रहा था...वो दिखने लगा है...भारी उथल - पुथल है...मानों इतिहास में भूकंप आ गया हो...धूल के आवरण हट रहे हैं...स्वर्णिम इतिहास सामने आ रहा है...इतिहास की दबी - कुचली जनता अपना स्वर्णिम इतिहास पाकर गौरवान्वित है। इतिहास के इस नए नज़रिए को बधाई!" - डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह


10 May 2011

Megh Bhagats in Literature - साहित्य में मेघ भगत

आज नेट पर सर्च मार रहा था तो नीचे दिए लिंक पर मेघ भगत बिरादरी का उल्लेख करती एक कहानी मिली. रुचिकर है. आपसे साझा कर रहा हूँ. ओड़ समुदाय पर लिखा सुंदर नाटक 'जस्मा ओड़न' मैंने पढ़ा था. परंतु मेघ समुदाय की पृष्ठ भूमि पर लिखी कोई सृजनात्मक रचना पहली बार नेट पर पढ़ी. ऑफिस से लेट हो रहा हूँ परंतु आज इसे यहाँ पोस्ट करके ही जाऊँगा. पढ़िए देसराज काली की लिखी एक सुंदर कहानी.



यह रचना प्रतिलिपि के साभार










4 comments:


ZEAL said...
Nice post. I went on that link and enjoyed reading. Thanks.
Bhushan said...
@ Zeal. I knoow Divya Ji, you are a great reader
निर्मला कपिला said...
ाभी पढ कर आयी हूँ कहानी। पंडा समाज के पास तो हर जाति हर व्यक्ति का बाओडेटा त्यार रहता है। धन्यवाद इस लिन्क के लिये।
deepak saini said...
बहुत अच्छी लगी कहानी। पढते हुए लग ही नही रहा था कि कहानी पढ रहा हूँ ऐसा लग रहा था कि फिल्म देख रहा हूँ, आँखो के आगे चित्र का खिचता चला गया। एक-एक शब्द आखिर तक जोडे रखता है

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