"इतिहास - दृष्टि बदल चुकी है...इसलिए इतिहास भी बदल रहा है...दृश्य बदल रहे हैं ....स्वागत कीजिए ...जो नहीं दिख रहा था...वो दिखने लगा है...भारी उथल - पुथल है...मानों इतिहास में भूकंप आ गया हो...धूल के आवरण हट रहे हैं...स्वर्णिम इतिहास सामने आ रहा है...इतिहास की दबी - कुचली जनता अपना स्वर्णिम इतिहास पाकर गौरवान्वित है। इतिहास के इस नए नज़रिए को बधाई!" - डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह


24 August 2012

Dr. J.B.D. Castro - Long live Homoeopathy - डॉ. जे .बी.डी. कास्ट्रो - होमियोपैथी ज़िंदाबाद

1962-63 में स्वामी व्यास देव की पुस्तक बहिरंग-योग पढ़ कर योग सीखना शुरू किया. हृदयगति को रोकने वाला 'हृदय स्तंभन प्राणायाम' भी सीखा. इसी लिए प्राणायाम करने के बाद अपनी हृदय की धड़कन जाँचने की आदत पड़ गई हाँलाकि यह प्राणायाम अधिक समय तक नहीं किया. 1973 में एम.ए. करने के दौरान एक बार लगा कि मेरी धड़कन नार्मल नहीं थी. जब साँस अंदर लेने के बाद साँस बाहर निकालता था तो एक धड़कन मिस हो जाती थी.

कभी मेरे सहपाठी रहे डॉ. विजय छाबड़ा से संपर्क किया. जाँच के बाद उन्होंने कहा, "यह कोई तकलीफ नहीं है जो तुम बता रहे हो. इट इज़ जस्ट एग्ज़ेग्रेशन ऑफ़ नार्मल फिनॉमिना." (अर्थात् कुछ अधिक है पर सामान्य है) मैं कूदता-फाँदता घर आ गया.
Dr. J.B.D. Castro
घर आकर डॉक्टर की बात को फिर से समझा. विचार आया कि कुछ है जो एग्ज़ेग्रेशन है. साइकिल उठाई और सीधे होमियोपैथ डॉक्टर जे.बी.डी. कैस्ट्रो के यहाँ चला गया. दिल की सारी बात बताई. डॉक्टर ने मोटी-मोटी आँखों में से गहरी नज़र डाली. अपने टिपिकल केरलाइट हिंदी उच्चारण में पूरे अपनत्व के साथ कहा,ओह! यह तकलीफ़ उनको होती है जो अपना दिल अपने पास ही रखते हैं, किसी को नहीं देते. वहाँ बेड पर लेट जाओ. उनके स्टाइल पर मुस्कराता हुआ मैं वहाँ जाकर लेट गया. डॉ. कैस्ट्रो अपना स्टेथोस्कोप पकड़े मुझे ध्यान से देखे जा रहे थे. अचानक उन्होंने एक पुराना फिल्मी गीत गुनगुनाना शुरू किया- इस दिल के टुकड़े हज़ार हुए, कोई यहाँ गिरा कोई वहाँ गिरा.... उनके गाने पर मेरी हँसी छूट गई. वे उठे, जाँच करने के बाद बोले, तुम को कुछ नहीं हुआ है. हार्ट-वार्ट बिलकुल ठीक है. पल्पीटेशन की मेडिसिन ले जाओ. ठीक हो जाओगे.

कुछ दिन पहले किसी ने बताया है कि जिसे वाक़ई दिल की तकलीफ होती है उसकी आँखों में चिंता होती है और वह डॉक्टर को रिपोर्ट करते समय मुस्करा नहीं सकता. जबकि डॉ. कैस्ट्रो के गाने पर मैं मुस्करा रहा था. शायद डॉ. कैस्ट्रो इसी लक्षण को जाँच-परख रहे थे.

एग्ज़ेग्रेशन के लिए तीन पुड़िया उन्होंने दी थीं. आज धड़कन है लेकिन नार्मल फिनॉमिना है. 39 वर्ष बीत चुके हैं. कल का पता नहीं. गारंटी कोई मेडिकल सिस्टम नहीं देता.


Dr. Castro's site
Nobel laureate gives homeopathy a boost (यह महत्वपूर्ण यह लिंक प्रिय भाई सतीश सक्सेना ने टिप्पणी के द्वारा भेजा है. आभार.) 
Dr. J.B.D. Castro 
Dr. Dinesh Sahajpal

7 comments:

  1. डॉ कास्टरों का होमयों पैथी इलाज का कमाल आपने अच्छी तरह वर्णन किया है। इस पद्धति मे लक्षणों के अनुसार उसी प्रकार चिकित्सा की जाती है जिस प्रकार 'आयुर्वेद' मे 'सादृश्य से सादृश्य' सिद्धान्त के अनुसार। एलोपैथी के मुक़ाबले यह सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है।

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    1. माथुर साहब, मुझे कई बार लगता है कि हनीमन को आयुर्वेद के इस सिद्धांत की जानकारी थी. 'विषस्य विषमौषधम्' के सिद्धांत को अपनाते हुए लक्षणों पर ध्यान दिया और हनीमन ने बेजोड़ चिकित्सा पद्धति का विकास किया जिसकी तूती एलोपैथी में भी बोलने लगी. नीचे सतीश सक्सेना जी ने जो पहला लिंक दिया है वह देखने योग्य है.

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  2. मैं इसे मानवता के लिए वरदान मानता हूँ , इस विषय पर दो एक पोस्ट पहले लिख चुका हूँ अगर रूचि हो तो पढियेगा !
    http://satish-saxena.blogspot.in/2010/07/blog-post_05.html
    http://satish-saxena.blogspot.in/2010/08/blog-post_07.html

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    1. आपका आभार भाई. आपके भेजे लिंक्स में से एक को आलेख में शामिल कर लिया है. इस जानकारी के लिए हार्दिक आभार.

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  3. मैं भी आप सबों से सहमत हूँ..

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  4. होम्‍योपैथी ... बिल्‍कुल सही कहा है आपने ... पूर्णत: सहमत हूँ ... आभार

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  5. एक होमियोपैथी चिकित्सक की श्रेष्ठता यही है कि वह तन में नहीं वरन् मन और हृदय में झांककर रोग का निदान करता है।

    रोचक प्रसंग।

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