"इतिहास - दृष्टि बदल चुकी है...इसलिए इतिहास भी बदल रहा है...दृश्य बदल रहे हैं ....स्वागत कीजिए ...जो नहीं दिख रहा था...वो दिखने लगा है...भारी उथल - पुथल है...मानों इतिहास में भूकंप आ गया हो...धूल के आवरण हट रहे हैं...स्वर्णिम इतिहास सामने आ रहा है...इतिहास की दबी - कुचली जनता अपना स्वर्णिम इतिहास पाकर गौरवान्वित है। इतिहास के इस नए नज़रिए को बधाई!" - डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह


26 January 2018

Save the Constitution - संविधान बचाइए

31 जनवरी 2017 को मैने एक पोस्ट मेघ मानवता धर्म और संविधान धर्म पर की थी जो मेरे मित्र श्री जी.एल. भगत द्वारा लिखी गई एक पुस्तक के आधार पर थी. मेरे लिए वह एक नई अवधारणा थी जिसे समझने के लिए मुझे अपने अल्पज्ञान के साथ जूझना पड़ा. उसका एक कारण यह भी था कि जो मूल पुस्तक मुझे पढ़ने को मिली वो अंग्रेजी में थी और अंग्रेजी में मेरी अपनी सीमाएं हैं. इसका मुझे अफ़सोस रहेगा.

इन दिनों फिल्म ‘पद्मावत’ को लेकर करणी सेना के उत्पाती आंदोलन को सोशल मीडिया ने आड़े हाथों लिया है. इस हुड़दंगबाज़ी ने देश के उन बुद्धिजीवी नागरिकों को विचलित और उद्वेलित किया है जो संविधान में आस्था रखते हैं और संविधान की भावना को देश हित के लिए सर्वोपरि मानते हैं.

जब कभी संविधान और उसकी व्याख्या की बात आती है तो आपने भी देखा होगा कि रवीश के प्राइम टाइम में फ़ैज़ान मुस्तफ़ा उपस्थित रहते हैं जो NALSAR, हैदराबाद के वाइस चांसलर हैं. धर्म और जाति के नाम पर यहाँ-वहाँ उत्पाती और हिंसक हो रहे युवाओं की बदइस्तेमाली पर भी प्राइम टाइम में फ़ैज़ान मुस्तफ़ा ने बेबाक़ राय दी है जो देखने लायक है. उनकी बातों से मुझे जी.एल. भगत की लिखी उक्त पुस्तक ‘कॉन्स्टिट्यूशनल सोशियो-कल्चर एंड इट्स कोड ऑफ ह्यूमन कंडक्ट (Constitutional Socio-Cultural and Its Code of Conduct’ की याद हो आई जिसे तब मैं सलीके से समझ नहीं पाया था.

फ़ैज़ान मुस्तफ़ा ने उन्हीं बात को हिंदी में बहुत खूबसूरत तरीके से समझाया और मैंने महसूस किया कि अब मैं पहले से अधिक जागरूक नागरिक हूँ. अब मैं सिविक रिलीजियन या संवैधानिक धर्म या संविधानवाद को समझ पा रहा हूँ. इसे देखने और समझने के लिए आप अपने जीवन के कुछ मिनट देंगे तो संविधानवाद के मायने समझ जाएँगे. बेहतर नागरिक बन जाएँगे. कार्यक्रमों का लिंक नीचे दिया है. 


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