"इतिहास - दृष्टि बदल चुकी है...इसलिए इतिहास भी बदल रहा है...दृश्य बदल रहे हैं ....स्वागत कीजिए ...जो नहीं दिख रहा था...वो दिखने लगा है...भारी उथल - पुथल है...मानों इतिहास में भूकंप आ गया हो...धूल के आवरण हट रहे हैं...स्वर्णिम इतिहास सामने आ रहा है...इतिहास की दबी - कुचली जनता अपना स्वर्णिम इतिहास पाकर गौरवान्वित है। इतिहास के इस नए नज़रिए को बधाई!" - डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह


16 February 2021

Asur Religion - असुर धर्म

श्री आर.एल. गोत्रा जी का Meghs of India नामक लंबा आलेख मैंने पढ़ा था तब ऐसा आलेख मेरे लिए वह चौंकाने वाली घटना थी. तब से मैं गोत्रा जी के संपर्क में लगातार रहा.

‘असुर’ शब्द पर उनके द्वारा की गई खोजबीन को मैं बहुत महत्व देता हूं. उनके द्वारा जोड़ी गई कड़ियों से प्रमाणित हो जाता है कि असुर, अशुर, अहुर आदि शब्द एक ही शब्द की वेरिएशंस हैं. भारतीय साहित्य में चाहे वह आधुनिक है या प्राचीन वहां असुर शब्द की जितनी महिमा गाई गई है उतनी ही उसकी फ़ज़ीहत भी की गई है. यह बात आम पाठक के लिए समझना बहुत कठिन है. लेकिन अब इस शब्द का महत्व समझ में आता है. 

प्राचीन इतिहास की कई कड़ियां देखने के बाद श्री गोत्रा ने फेसबुक पर एक ग्रुप Ancientologist Meghs में बताया है कि असुर शब्द का प्रचलन असुर धर्म से हुआ. असुर एक देवता था Mediterranean (जिसमें मेघ भी शामिल थे) का; जो कभी धीरे-धीरे सप्तसिन्धु तक फैल गए थे. काफ़ी समय बाद असुर में विश्वास रखने वाले ही ऐकेश्वरवादी हो गये.

असुर जगह एक घोषित World Heritage वाला मशहूर धार्मिक स्थान है. पुराने समय से यह पर्शिया में टिगरिस नदी के किनारे स्थित है; जहां 4200 साल पहले ‘असुर’ नाम का धर्म शुरू हुआ था. यह धर्म अग्नि पूजक आर्यों से अलग था और इस कारण आर्यों की इनसे बनती नहीं थी. आज कल यह इराक़ का एक ज़िला है. असुर शब्द का प्रचलन इसी से हुआ।

श्री गोत्रा द्वारा उक्त फेसबुक ग्रुप में  दिए गए विभिन्न लिंक्स को जोड़ कर देखने की ज़रूरत होगी.



5 comments:

  1. मानव स्वभाव ही ऐसा है कि यदि उसके मन के अनुकूल हो तो महिमा गा कर प्रकट करता है और यदि विपरीत है तो अपने अंदर की सारी विकृति को आरोपित कर देता है । संभवतः असुर के साथ ऐसा ही हुआ हो । जैसे जैन और बौद्ध शास्त्र में भी कृष्ण को सात नर्क में डाला गया है क्योंकि वे कृष्ण को स्वीकार नहीं कर पाये ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी बात एकदम सटीक है.शुरुआत में कुछ मानव समूहों का असुर नामक टोटेम से सैद्धांतिक किस्म का मतभेद रहा होगा जो बाद में सत्ता की लड़ाई में परिवर्तित हो गया.

      Delete
  2. रोचल और जानकारी भरी पोस्ट ...
    ये एक सहज मानवीय प्राकृति है ... जो पसंद न हो उसका मज़ाक उडाओ ... फजीहत करो ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बिल्कुल यही बात है.

      Delete
  3. MEGHnet पर दी गई हर ऐतिहासिक जानकारी बहुत ही सटीक व तथ्यपरक है मुझे बहुत खुशी हुई की आज का मेघ अपने इतिहास को खोज कर आने वाली पीढी का सही मार्गदऱ्शन कर पाये।
    जय मेघ जय भारत

    NR MEGH गोत्र बजाड
    Vill.+post. Tapra Balotra ,Dist.Barmer
    Raj.344022
    Mo.
    9636982549

    ReplyDelete