The Unknowing Sage

20 March 2012

Birth anniversary of Ashoka the Great-2 - सम्राट अशोक की जयंती/जन्मदिवस-2




भारत का बच्चा-बच्चा जानता है कि भारत में एक यशस्वी सम्राट हुआ है जिस का नाम अशोक था. पूरी दुनिया उसे अशोक महान के नाम से जानती है. आप भी जानते हैं मैं भी जानता हूँ.

क्या हम जानते हैं कि ऐसे महान व्यक्तित्व की जयंती कब है?

बौध सम्राट अशोक को प्रियदर्शी सम्राट कहा जाता है. सम्राट अशोक के राज्य का विस्तार हिंदुकुश श्रृंखला से लेकर दक्षिण में गोदावरी के दक्षिण और मैसूर तक, तथा पूर्व में बंगाल से लेकर पश्चिम में अफगानिस्तान तक था.
The Kingdom
लेकिन क्या हम भारतीय जानते हैं कि हमारे ऐसे महान सम्राट की जयंती कब है?

सम्राट अशोक ने बौध धर्म को अपना राजधर्म बनाया और उसका विस्तार किया. उस समय बौध धर्म का प्रसार श्रीलंका, अफगान, पश्चिम एशिया, मिस्र तथा यूनान (ग्रीस) तक किया गया. बाद में यह चीन और जापान सहित पूर्वी एशिया में फैला.
क्या ये सभी देश जानते हैं कि सम्राट अशोक की जयंती कब है?

अशोक अपने समय में दुनिया के महानतम सम्राट हुए हैं. अशोक ने स्वतंत्रता, समता, न्याय पर आधारित सामाजिक व्यवस्था का निर्माण किया. उनके राज्य में ही भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था. नोबल पुरस्कार विजेता और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. अमर्त्य सेन के अनुसार सम्राट अशोक के समय में दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत की भागीदारी 35% थी और सम्राट अशोक के राज्य के दौरान भारत वैश्विक (ग्लोबल) महाशक्ति था.

क्या हमारी पीढ़ियाँ जानती हैं कि ऐसे सम्राट की जयंती कब है?
भारत के संविधान ने इस महान सम्राट से संबंधित कुछ प्रतीकों (अशोक चक्र आदि) को अपनाया है लेकिन भारत में उसकी जयंती मनाने के बारे में अभी विचार करने की आवश्यकता है.

भारत में सम्राट अशोक की जयंती को परंपरागत रूप से 24 मार्च को मनाया जाता है. लेकिन इस बारे में जागरूकता कम है. भारतीय मीडिया इस विषय में अनपढ़ है. आशा है आने वाले समय में जन-जन इस बारे में जागरूक हो जाएगा. 

26-12-2015 इस बीच फेसबुक पर पढ़ा है कि बिहार सरकार सन 2016 से हर 14 अप्रैल को सम्राट अशोक जयंती मनाने की बात कर रही है. बधाई. सरकारी निर्णय लागू हो जाए तो भी बात बन जाएगी. 


24-11-2016
इस बारे में फारवर्ड प्रेस में प्रकाशित एक आलेख का लिंक यहां नीचे दिया जा रहा है-

फारवर्ड प्रेस



सम्राट अशोक पर एक आलेख नीचे दिए लिंक पर है.
King Asoka a spiritual monarch in the Hellenistic age
सम्राट अशोक जयंती







25 मार्च, 2018



प्रसिद्ध भाषाविज्ञानी और इतिहासवेत्ता डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह जी ने नितीश जी को सुझाव दिया है कि महोदय! यही मूर्ति लगवाइएगा, कंठी- माला वाली नहीं


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12 March 2012

Yaksha Prashna-Yaksha Answer - यक्ष प्रश्न - यक्ष उत्तर



यक्ष के द्वारा पूछे गए प्रश्नों में एक प्रश्न था कि किसे त्याग देने से मनुष्य प्रिय बनता है. युधिष्ठिर ने इसका उत्तर दिया था कि अहं से पैदा हुए गर्व को त्यागने से मनुष्य प्रिय बनता है. तब से लेकर ज्ञान की गुम नदी....सरस्वती.....में काफी पानी बह चुका है. 

लेकिन समय और कथाओं के उस प्रवाह में......कलियुग तक आते-आते.....सभी प्रश्नों का उत्तर देने के बाद....सरोवर में चंद्र, तारागण आदि के झलमिलाते बिंबों को देखते हुए युधिष्ठिर ने यक्ष से कहा, “मेरे मन में भी एक प्रश्न है.” यक्ष ने सिर उठाया और पूछने की अनुमति दी. युधिष्ठिर ने कहा, “पूरे ब्रह्मांड में एक से बढ़ कर एक वृहद् सूर्य हैं. उनके आकार से भी बढ़ कर ब्रह्मांड की महानता सूर्यों के बीच की दूरी में है. उन सूर्यों के बीच पृथ्वी का आकार सुई की नोक के बराबर भी नहीं है, पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्य के आकार की न्यूनता का तो कहना ही क्या. हे यक्षराज! ब्रह्मांड की महानता से बढ़ कर क्या है?”

प्रश्न सुन कर यक्ष ने मुस्करा कर कहा, “हे बुद्धिमानों में श्रेष्ठ युधिष्ठिर! मनुष्य ब्रह्मांड की महानता को जानता है लेकिन उसे सर्वोपरि नहीं मानता. मनुष्य का मस्तिष्क और उसके अहं से उत्पन्न गर्व ब्रह्मांड की महानता के ही समान है. ध्यानपूर्वक देखें तो समस्त ब्रह्मांड और मनुष्य का गर्व उसके अहं की परिधि में पड़े दो छोटे-छोटे बिंदु हैं जिनकी प्रतीति सरोवर में प्रतिबिंबित ब्रह्मांड के समान ही होती है.”

उत्तर पा कर युधिष्ठिर ने मुस्करा कर कहा, "आपका ज्ञान धन्य है यक्षराज." और दोनों परम ज्ञानी कथाओं की भाँति अपने-अपने रास्ते चल दिए.