The Unknowing Sage

30 May 2012

Advocates are ruling - वकीलों का राज है भई



Advocates
टीम केजरीवाल ने 15 मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. आरोप लगाने वालों में और आरोप लगे मंत्रियों में बहुत से वकील हैं. यह तो (सांसद वकील)-बनाम-(एनजीओ वकील) की सनसनी हो गई. रुचिकर है और मैं बहुत प्रभावित हूँ.

सांसद के रूप में (आ)रोपित वकील मंत्रियों/सांसदों की संख्या कम नहीं. इनकी प्रैक्टिस अच्छी नहीं थी ऐसा तो कोई नहीं कहेगा. ये वकील का बाना पहन कर कोर्ट में जा सकते हैं. बिन बाने वाली प्रैक्टिस से भी इनका काम चलता रह सकता है यह महत्वपूर्ण है और देख कर सराहने वाली बात भी. देखने वालों की परेशानी यह है कि संसद से बाहर जी रहे वकील संसद के अंदर स्थापित वकीलों से इतने ख़फ़ा क्यों हैं? लोग इतना तो जानते हैं कि कंपिटीशन गला काट है.

पढ़ा है कि संसद में प्रश्न 'उठाने' के लिए पैसे लिए गए थे. संसद में प्रश्न को 'बैठाए' रखने या उठे प्रश्न को 'बैठाने' के लिए 'फीस' चलती है क्या? डॉक्टरों-दवा-कंपनियों-लैब्ज़ सरीखा प्रेम-बंधन वकीलों के धंधे में भी है क्या?

एक मित्र ने चुटकुला सुनाया था.- एक वकील दूसरे से बोला, यार, बहुत प्रेशर पड़ रहा है. तुम्हारी उस क्लायंट कंपनी पर किसी ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं. 'उठा' दूँ?” दूसरा वकीलबोला, रुक जा. कंपनी से बात करने दे. बात हो गई. कंपनी से कानूनी सलाह की 'फीस' पहुँच गई. सवाल 'उठने' से पहले ही 'बैठ' गया. न करप्शन, न फ़ालतू केस. फीस की 'फीस', शुद्ध मेहनत की.

(होश में हूँ. कृपया चुटकुले को चुटकुला और बाकी सभी पैराग्राफ़ को ब्लॉगर की बकबक समझा जाए, प्लीज़).

हरेक राजनीतिक दल के अपने 'प्रिय' विशेषज्ञ वकील होते हैं. जो दल सत्ता में आता है वो अपने स्पष्टतः संदिग्ध दिख रहे गैर-कानूनी और असंवैधानिक कार्यों पर अपने इन्हीं वकीलों से 'एक्सपर्ट सलाह' लेता है. एक सलाह की फीस आठ-दस लाख रुपए हो सकती है, ऑफ़ कोर्स पब्लिक के ख़ज़ाने से. कई बार मामले इतने टुच्चे होते हैं कि डीलिंग क्लर्क कुढ़ते हुए मुस्कराता है- ले जा वकील भाई!!! आजकल तेरा टाईम चल रहा है. सहमत-असहमत सी ब्यूरोक्रेसी अंग-संग रहती है. सभी संबंध पवित्रतः सरकारी हैं. इसमें कोई करप्शन है या नहीं, मैं नहीं जानता. वकील जाने या भगवान जाने.

बहुत लिख दिया, अधिक लिख कर मरना है क्या!!