"इतिहास - दृष्टि बदल चुकी है...इसलिए इतिहास भी बदल रहा है...दृश्य बदल रहे हैं ....स्वागत कीजिए ...जो नहीं दिख रहा था...वो दिखने लगा है...भारी उथल - पुथल है...मानों इतिहास में भूकंप आ गया हो...धूल के आवरण हट रहे हैं...स्वर्णिम इतिहास सामने आ रहा है...इतिहास की दबी - कुचली जनता अपना स्वर्णिम इतिहास पाकर गौरवान्वित है। इतिहास के इस नए नज़रिए को बधाई!" - डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह


27 February 2021

मेघ समुदाय के महान सपूत डॉ पी जी सोलंकी


डॉ बाबा साहब अंबेडकर ने बॉम्बे में मेघ समुदाय को संबोधित किया था इसका उल्लेख मेघवंश के इतिहासकार श्री ताराराम जी कर चुके हैं. उसी की कड़ी में उन्होंने कल फोन से एक संदर्भ भेजा और फेसबुक पर एक ग्रुप 'मेघवंश का इतिहास' में एक पोस्ट लिखी थी जिसे नीचे कॉपी-पेस्ट भी कर दिया है.

"मेघ बिरादरी का महान नेता डॉ पी जी सोलंकी:
डॉ पी जी सोलंकी को वह हर एक शख्स जानता है, जिसने डॉ आंबेडकर का साहित्य पढ़ा है। हर एक वह व्यक्ति जानता है, जो आरक्षण के बारे कुछ जानकारी रखता है और जिसको पूना पैक्ट के बारे में ज्ञान है। डॉ पी जी सोलंकी गुजरात के मेघवाल थे, जो बॉम्बे में जा बसे थे। वे बॉम्बे म्युनिसिपल बोर्ड के लंबे समय तक कॉउंसीलर भी रहे। वे बॉम्बे विधान परिषद के सदस्य भी रहे। संविधान सभा के भी सदस्य रहे। उन्होंने गोलमेज सम्मेलन में डॉ आंबेडकर के साथ भाग लिया और हमेशा डॉ आंबेडकर का समर्थन किया। सन 1912 में विभिन्न जातियों के सहभोज का आयोजन किया। उन्होंने साइमन कमीशन हो या वयस्क मताधिकार की कमेटी, उनके सामने अछूतों का पक्ष रखा। उनकी वजह से शिक्षा संस्थानों में आरक्षण के प्रावधान पारित हुए। डॉ बाबा साहेब अंबेडकर ने कई जगह यह जताया कि वे जो कुछ कर पाए है, उसमें डॉ सोलंकी का महत्वपूर्ण योगदान है। इनके विस्तृत कृतित्व को कुछ पंक्तियों में नहीं लिखा जा सकता है। इस पर फिर कभी लिखा जाएगा।
अभी यहां पर वसंत मून द्वारा लिखित पुस्तक के एक अंश का उल्लेख कर रहे है, जिसमें डॉ सोलंकी की जाति का उल्लेख है, अन्यथा अन्य ग्रंथों में उनका उल्लेख डॉ सोलंकी के रूप में ही हुआ है। डॉ सोलंकी मेघ बिरादरी के एक दूरदर्शी और अपराजित योद्धा थे। हालांकि, उन पर ईसाई धर्म अपनाने के लांछन लगे, पर वे अछूतों के हितों को सुरक्षित करवाने हेतु हमेशा कटिबद्ध रहे और डॉ बाबा साहेब अंबेडकर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर योजनाबद्ध कार्य करते रहे। गोलमेज सम्मेलन में डॉ आंबेडकर के व्यस्त रहने पर उन्होंने हर तरह से डॉ बाबा साहेब अंबेडकर के करवां को गतिमान बनाये रखा। इसलिए उन्हें डॉ आंबेडकर का एक मजबूत बाजू भी कहा जाता था।
वसंत मून (1991) अपनी पुस्तक 'बाबा साहेब डॉ आंबेडकर' में लिखते है: "सन 1927 के प्रारम्भ काल में ही डॉ आंबेडकर को विधान मंडल का सदस्य नियुक्त किया गया। 18 फरवरी 1927 के दिन उन्होंने शपथ ग्रहण की। उनके साथ ही मेघवाल समाज के डॉ सोलंकी भी अस्पृश्यों के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त हुए थे।"







1 comment:

  1. प्रणाम ! डॉ सोलंकी जैसे दूरदर्शी एवं अपराजित योद्धा को हार्दिक नमन ।

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