tag:blogger.com,1999:blog-7324833772250432260.post6071182383374246723..comments2024-03-23T13:05:25.067+05:30Comments on MEGHnet: Worship places of Megh Bhagats - मेघ भगतों के पूजा स्थल Bharat Bhushanhttp://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-7324833772250432260.post-48005031844682507012019-03-15T22:30:31.334+05:302019-03-15T22:30:31.334+05:30Shi khaShi khaAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/15952139192628324679noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7324833772250432260.post-56649917226983505892013-09-23T15:23:45.344+05:302013-09-23T15:23:45.344+05:30कभी कभी ऐसा लगता है कि काश हमारे समाज में सिर्फ एक...कभी कभी ऐसा लगता है कि काश हमारे समाज में सिर्फ एक ही धर्म होता "इंसानियत का" और सब आपस में एक दूजे को इंसान होने के नज़रिये से ही जानते पहचानते, न कि किसी विशेष धर्म या जाती से तो कितना अच्छा होता। Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7324833772250432260.post-90764969173777796892013-09-23T10:51:39.121+05:302013-09-23T10:51:39.121+05:30एक पुस्तक में ऐसे संकेत मिले हैं जिनसे लगता है कि ...एक पुस्तक में ऐसे संकेत मिले हैं जिनसे लगता है कि ये मेघवंशी आर्य आक्रमण के बाद सिंधुघाटी सभ्यता के क्षेत्र से भाग कर ओडिशा और बिहार क्षेत्र तक जा बसे. ये घुमंतु हो चुके थे लेकिन सिंधुघाटी के अपने क्षेत्र को नहीं भूले थे. बिहार के मेघ अपने एक धार्मिक नेता धनी मातंग देव के नेतृत्व में गुजरात में जा बसे. बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से होते हुए इन्होंने काफी संख्या में एकत्र होकर कोशांबी में अपना राज्य स्थापित किया. इनका एक बहुत बड़ा समूह राजस्थान में भी आकर बसा. कुछ लोक कथाएँ संकेत करती हैं कि वाराणसी से कुछ मेघ जम्मू में आकर बस गए. देखते हैं आगे क्या खोज होती है. Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7324833772250432260.post-88607058016913568992013-09-23T10:16:32.992+05:302013-09-23T10:16:32.992+05:30मेघवालों के पूजा स्थल का जो चित्र यहाँ लगाया गया ह...मेघवालों के पूजा स्थल का जो चित्र यहाँ लगाया गया है यदि ऐसा ही पूजा स्थल देखना हो तो बिहार के गाँव में हू-ब-हू मिल जाएगा . जहां सभी जाति के लोग पूजा करते है और बलि भी चढाते हैं . इतनी समानता देखकर मैं चकित हूँ.Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.com