The Unknowing Sage

22 January 2018

Kabir, Holiday and June - कबीर, छुट्टी और जून

मेघ समाज ऐसा समाज है जो जल्दी से किसी बात पर आंदोलित नहीं होता. शांत और संतुष्ट रहना इसका स्वभाव है. 
लेकिन पिछले दिनों जब पंजाब में कबीर जयंती की छुट्टी को पंजाब सरकार ने छुट्टी की जगह रिस्ट्रिक्टिड छुट्टी घोषित किया तो इस समाज ने कबीर के प्रति अपनी मज़बूत भावनाओं को जो अभिव्यक्ति दी वो उनके आंदोलित उठने की गवाही दे गई. पार्टियों की सीमाएं तोड़ कर इस आंदोलन में विभिन्न पार्टियों में बिखरे नेतागण इकट्ठे हो गए और कई जगह धरने-प्रदर्शन किए और भूख हड़ताल पर भी बैठ गए हैं. ये धरने प्रदर्शन पंजाब में एक साथ कई जगह हुए हो रहे हैं. जो सामाजिक संगठन अभी तक एक दूसरे से दूर-दूर नजर आते थे वे एक ही मंच पर साथ-साथ दिखाई दिए. कुछ अन्य कबीरपंथी और जुलाहा समाज जो पहले कभी मेघों के बीच खड़े नहीं दिखे वे भी इस मुद्दे को लेकर एकता का प्रदर्शन करने के लिए आ जुटे. सब से बढ़ कर जो बात सुनी गई है वो यह है कि कुछ सिख संगठन भी इस आंदोलन से आ जुड़े हैं. रविदास और जाट भाईचारे के लोग भी इस प्रोटेस्ट में हिस्सा ले रहे हैं. काश यह भाईचारा चुनावों में भी दिखे. वो सत्गुरु कबीर का सबसे बड़ा आशार्वाद होगा.
इस स्थिति से पैदा होती संभावनाओं का विश्लेषण करने की ज़रूरत है. जाहिर है कि बात धार्मिक भावनाओं तक पहुँच गई है और अन्य साझे हितों तक भी जाएगी.
कबीर के झंडाबरदारों से फिर आग्रह है कि कबीर जयंती को जून की जगह किसी सुहावने मौसम में शिफ़्ट कीजिए. जून में आप प्रभावशाली कार्यक्रम नहीं कर पाते.





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