The Unknowing Sage

29 October 2020

Madra, Megh and Jhelam - मद्र, मेघ और झेलम

 मद्रों, मेघों के संदर्भ में कई जगह ‘वितस्ता’ का उल्लेख पढ़ा है जिसे कई जगह वैदिक काल की ‘झेलम’ नदी या झेलम का वैदिक कालीन नाम बताया गया है. इस 'झेलम' शब्द की उच्चारण ध्वनि इतनी सख़्त है कि संदर्भित क्षेत्र में उसकी लोक प्रयुक्ति का काल लंबा नहीं हो सकता. इसकी उच्चारित ध्वनि लोक-भाषा में 'जेह्लम' जैसी है. वितस्ता जैसे कई नाम नकली प्रतीत होते हैं. मुझे लगता है कि इन नामों के मूल स्वरूप की खोज प्राकृत और पाली भाषाओं की मदद से की जानी चाहिए जिससे कई अन्य शब्दों (मद्र, मेदे, मीडी आदि) की यात्रा को ट्रैक करने में मदद मिलेगी. जहाँ कहीं भी लिखा हो कि यह ‘वैदिक काल’ का है तो उससे यह संकेत अवश्य लेना चाहिए कि उस शब्द का संस्कृत में परिवर्तित रूप ऐसा भी हो सकता है जिसका मूल ध्वनि से शायद कोई संबंध ही न रह जाए. 'जेह्लम' और 'वितस्ता' में उच्चारित ध्वनियों में कोई समानता कोई भाषा-विज्ञान स्थापित नहीं कर सकता जब तक कि किसी दूरस्थ क्षेत्र की ध्वनि का आक्षेप उसमें न दिख जाए.

यह भी देखेंः  मेदे, मद्र, मेग, मेघ


2 comments:

  1. चिंतन व अन्वेषण योग्य ।

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  2. ऐसे विषयों पर शोध जरूरी है ...

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