इसी
साल 24 मार्च 2019 को और पिछले साल 17 नवंबर 2018 को आदरणीय डॉ. राजेंद्र प्रसाद
सिंह ने एक ही विषय पर दो पोस्टें डाली थीं. विषय था मोहनजोदड़ो के तथाकथित
राजपुरोहित (King priest) की वह विश्व प्रसिद्ध मूर्ति जो कराची के म्यूज़ियम में रखी है वह
किसकी मूर्ति हो सकती है या है. मोहनजोदड़ो में इस मूर्ति के अतिरिक्त मिली अन्य
मूर्तियों का आपस में मिलान और बुद्ध की मूर्ति से मिलान करने के बाद उनका मानना
है कि यह मूर्ति बुद्ध की मूर्ति के स्टाइल की है. इस बारे में अंतिम निष्कर्ष
क्या होगा पता नहीं लेकिन मूर्ति के माथे पर बना कुकुध और बैठने की मुद्रा भी
बुद्ध की ओर संकेत करती है.
इस संदर्भ में मुझे एक मेघ ऋषि मंदिर में स्थापित फोटो का ध्यान हो आया जो मोहनजोदड़ो की उक्त मूर्ति का रूपांतरण (adaptation) प्रतीत होता था. उसकी अन्य छवियाँ भी तैयार की गई थीं. ऐसा भी होता है कि हम कभी किसी छवि को प्रतीक बना कर एक अर्थ विशेष में उसका प्रयोग करते हैं लेकिन बाद में होने वाला शोध उसे अलग अर्थ दे सकता है हालाँकि आस्था का तत्त्व उसमें स्थाई रह सकता है. इस निगाह से देखें तो प्रतीकात्मकता (symbolism) में अर्थ विस्तार की संभावनाएँ बरकरार रहती हैं. ऋषियों-मुनियों की प्रतीकात्मक छवियों (images) में भी परिवर्तन होता रहता है. कहीं कुछ जोड़-दिया जाता है और कहीं कुछ घटा दिया जाता है ताकि वो समय के अनुसार नया अर्थ दे सके.
इस संदर्भ में मुझे एक मेघ ऋषि मंदिर में स्थापित फोटो का ध्यान हो आया जो मोहनजोदड़ो की उक्त मूर्ति का रूपांतरण (adaptation) प्रतीत होता था. उसकी अन्य छवियाँ भी तैयार की गई थीं. ऐसा भी होता है कि हम कभी किसी छवि को प्रतीक बना कर एक अर्थ विशेष में उसका प्रयोग करते हैं लेकिन बाद में होने वाला शोध उसे अलग अर्थ दे सकता है हालाँकि आस्था का तत्त्व उसमें स्थाई रह सकता है. इस निगाह से देखें तो प्रतीकात्मकता (symbolism) में अर्थ विस्तार की संभावनाएँ बरकरार रहती हैं. ऋषियों-मुनियों की प्रतीकात्मक छवियों (images) में भी परिवर्तन होता रहता है. कहीं कुछ जोड़-दिया जाता है और कहीं कुछ घटा दिया जाता है ताकि वो समय के अनुसार नया अर्थ दे सके.
फेसबुक पर कभी एक सज्जन ने पूछा था कि तुलसी दास के चित्र में कलम, दवात और पुस्तक भी रखी रहती है तो कबीर के चित्र में बीजक नामक ग्रंथ और कलम-दवात क्यों नहीं रखी जा सकती? रखी जा सकती है. कौन रोकता है? कबीर का चित्र उनके ज्ञान के अनुरूप होना ही चाहिए.