मैंने
असुर
शब्द
की
व्याख्या पर एक ब्लॉग लिखा था जिसमें स्पष्ट लिखा था कि यदि किन्हीं संदर्भों में मेघों के लिए असुर शब्द इस्तेमाल हुआ है तो उसका अर्थ शक्तिशाली और प्राणवान के अर्थ में हुआ है. प्रमाण के तौर पर डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह के संदर्भ वहाँ लगा दिए थे. लेकिन वो काफी नहीं था. इस बीच हमारे अपने समुदाय के श्री आर.एल. गोत्रा जी ने काफी छानबीन करने के बाद जोशुआ जे. मार्क के एक शोध आलेख
का
लिंक
भेजा
जिसे
पढ़
कर
असुर
शब्द
के
कई
आयाम
खुलते
नज़र
आए.
मालूम
पड़ा
कि
शब्दावलियों
में
चाहे
कितनी
भी
भिन्नता
हो
सभी
धर्मों
के
मूल
में
वे
तत्त्व
मौजूद
हैं
जो
असुर
से
संबंधित
व्याख्याओं
के
बिना
अपनी
वास्तविक
संपूर्णता
खो
बैठते
हैं.
भारतीय
मानस
के
संदर्भ
में
असुर
का
निकटतम
पर्यायवाची
शब्द
राक्षस
है.
राक्षस
यानि
रक्षक
(रक्षस्)
जो
रक्षा
करता
है.
ज़ाहिर
है कि
रक्षक
को
शक्तिशाली
और
प्राणवान
होना
ही
चाहिए.
इस
श्रेणी
में आए कई नाम आपको
पौराणिक साहित्य में
मिल
जाएँगे
जैसे
वृत्र,
रावण,
कृष्ण,
हिरण्यकश्यप,
महाराजा
बली,
कंस,
प्रह्लाद
आदि.
इन
नामों
से
आप
जान
सकते
हैं
कि
पुराणपंतियों
ने
असुर
और
राक्षस
की
एक
नकारात्मक
तस्वीर
भी
बना दी है
जो
उनकी
कथाओं
में
ऐसे
चरित्र
(या
वो
टोटम
भी
हो
सकता
है)
को
खलनायक
के
रूप
में
प्रस्तुत
करती
है
और
पुराणपंतियों
के
टोटमों
को
श्रेष्ठ
सिद्ध
करती
है.
कहानियों
से
लगता
है
कि
वृत्र
और
इंद्र
किन्हीं
दो
विरोधियों
के
अपने-अपने
टोटम
हैं
जिनके
युद्धों
की
कहानियाँ
गढ़ी
गई
हैं. संभव है वो पौराणिक
कहानियाँ बहुत
पुरानी
न
भी
हों जिनमें
दो
या
अधिक
समूहों
के
बीच
संघर्ष
दिखाया
जाता
है.
वो युद्ध
उनके
परस्पर
हितों
की
रक्षा
के
लिए
सदियों
लड़े
गए
निरंतर
युद्धों
जैसा
है.
कुछ
समूह
बिखरते
और
कुछ
जुड़ते
जाते
हैं
जिससे
युद्ध
का
अंजाम
तय
होता
है.
टोटम क्या है -
पीडिया
में
टोटम
की
परिभाषा
इस
प्रकार
की
गई
है
- “गणचिह्नवाद या टोटम प्रथा (totemism) किसी समाज के उस विश्वास को कहते हैं जिसमें मनुष्यों का किसी जानवर, वृक्ष, पौधे या अन्य आत्मा से सम्बन्ध माना जाए. 'टोटम' शब्द ओजिब्वे (Ojibwe) नामक मूल अमेरिकी आदिवासी क़बीले की भाषा के 'ओतोतेमन' (ototeman) से लिया गया है, जिसका मतलब 'अपना भाई/बहन रिश्तेदार' है”.
इस नज़रिए से देखें तो असुर एक साधारण टोटम से शुरू होता है और आगे चल कर शक्तिशाली राजसत्ता का प्रतीक बन जाता है. धर्म और राजनीति के घालमेल के मूल में यही तत्त्व और तथ्य मौजूद है.