इसे
लिखने के पीछे मेरी मंशा
यह थी कि मेघ होने के नाते मैं
इंटरनेट पर जहाँ-जहाँ
अपनी पहचान पा जाऊँ उसे इस ब्लॉग पर सहेज कर रख लूँ ताकि मेरे
जैसा कोई जानकारी का इच्छुक और सर्फ़र कुछ जानकारी यहाँ से ले सके.
स्वभाविक
ही मैंने अपनी मेघ जाति (जो जम्मू-कश्मीर
और पंजाब में बसी है)
उसके
विकास और उसकी गतिविधियों से
शुरू किया था.
मुझे
इतिहास का कुछ आता-जाता
नहीं था लेकिन जानने की प्रक्रिया
में मैं मेघ रेस (वंश) को उन कई ऐतिहासिक सूत्रों से पहचान पाया
जिसमें से वो निकली है.
प्राप्त
जानकारी के आधार पर मैंने Wikipedia
पर मेघ-भगत
नाम से आलेख लिखा जिसे अन्य
संपादकों ने अपनी जानकारी के
अनुसार पहले से निर्मित मेघवाल
आलेख में मिला दिया.
उस
आलेख के चर्चा पृष्ठ पर बातचीत
भी हुई लेकिन अनजाने में मैं
उनसे सहमत था क्योंकि मेरे
मन में मेघ रेस की एक बड़ी तस्वीर
कुछ समय से मौजूद थी.
मेरे
विचार से इन बातों को स्पष्ट
करने के लिए विकिपीडिया पर
''मेघ वंश''
नाम
से एक आलेख बनाया जा सकता है.
इसी
क्रम में बहुत सी बातों
को
लिंक
करने के लिए गूगल
साइट्स
भी बनाईं
अन्यथा वे
सब बातें
एक
ब्लॉग
में
नहीं आ
पातीं.
जानकारी
देने वाले
विद्वानों
और
साइट्स
का श्रेय
उनको
देना मैं नहीं भूला था.
शायद
कहीं चूक हुई हो उसके लिए क्षमा.
जानकारी
में आए तो उसे सुधारना चाहूँगा.
विषय-वस्तु
में त्रुटियाँ,
कमियाँ
या विवादास्पद बातें ज़रूर
आई हैं
जिस
पर ध्यान जाते ही मैंने
स्वयं
या
अन्य के द्वारा ध्यान दिलाए
जाने पर तुरंत दुरुस्त किया है.
अपनी
पसंद के कई लिंक्स को मेघनेट
के साथ जोड़ा
है और कुछ लिंक्स
तो मुझे
खुद कंस्ट्रक्ट
करने
पड़े
जो कई पृष्ठों
के हैं.
मेघनेट
पर लिखे बहुत से ब्लॉग/आलेख
कई अन्य साइट्स
पर
और एक App
पर
ले जाए गए हैं
या लिंक किए
गए हैं.
मेघनेट
को
ऐसा विस्तार देने वालों का
आभार.
पिछले
दिनों
मेरी बनाई गई एक साइट पर गंभीर
आपत्ति की गई और कानूनी कार्रवाई
की धमकी भी मिली.
सन्
2011
में
बनाई उस साइट
को फिर से देखा.
यह
मेघवंश
का
विवाद नहीं था परंतु 'मेघवाल' नाम के इस्तेमाल पर उलझ पड़ी जातियों के आपसी विवाद
का मामला था.
मैं
नहीं जानता कि वह
आरक्षण को लेकर
था
या जाति के सामाजिक स्तर को
लेकर.
आपत्ति में दम था इसलिए
साइट को तदनुसार संपादित कर दिया.
संभव
है ऐसे
विवादास्पद ब्लॉग मेघनेट
में अन्य भी हों.
ध्यान
में लाए जाने पर ब्लॉग को ठीक कर लिया जाएगा और ब्लॉगर भी सुधर जाएगा. असल
ज़रूरत इस बात की है कि मेघ रेस की जातियों में आपसी समझ (अंडरस्टैंडिंग) प्रगाढ़
हो.
स्वास्थ्य
और आयु के कारण मैंने मेघनेट
पर लिखना पहले से काफी कम किया
है.
कई
बार 'मेघ' से इतर
विषयों पर
भी लिखा है.
आशा
है कुछ समय और लिख
पाऊंगा.
मेघनेट
के पाठकों से चलते-चलते
इतना कहना कहूँगा
कि मेघ रेस के बारे में
अधिक जानना
हो
तो माननीय
ताराराम
जी
को
पढ़ें,
भारतीय
इतिहासकारों को पढ़ें.
अपने
मूल को समझना चाहते हैं
तो मध्यएशिया, ईरान,
इराक़,
ग्रीस,
अफगानिस्तान,
पाकिस्तान
के क्षेत्र के इतिहास का अध्ययन करें. अपने
धर्म-संस्कृति
को विस्तार से समझना हो
तो बुद्धिज़्म, लिंगायत और लोकायत को भी जानें. बस, अपना
इतिहास जानें और अपना इतिहास
बनाएँ.
आपको
देने के लिए मेरे पास भरपूर
शुभकामनएँ
हैं.
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