Bheema Koregaon Victory Pillar |
अब सूचना प्रणाली में आई तेज़ी और नए दृष्टिकोण ने उस इतिहास के अर्धसत्य को पूर्णता प्रदान करने के प्रयास तेज़ किए हैं. बताया जाने लगा है कि आधुनिक इतिहास में दलितों के सहयोग से लड़ा गया पहला प्लासी का युद्ध था जिसे दुसाध (पासवान) वीरों के सहयोग से जीता गया. दूसरा भीमा कोरेगाँव का युद्ध है जो पेशवाओं के खिलाफ था और म्हारों के सहयोग से जीता गया था. इस युद्ध ने भारत से पेशवा राज को समाप्त कर दिया. इतिहासकारों ने म्हारों और मेघों को एक ही जाति समूह का माना है. महारों के इतिहास की झांकी इस इस लिंक पर देख सकते हैं.
अंग्रेज़ों ने मेघवंश के योद्धाओं की मदद से दो युद्ध जीते. उनके बारे में लिखते हुए पुरानी विचारधारा वाले इतिहासकारों ने संकोच से काम लिया और इतिहास में उनका विस्तृत उल्लेख नहीं किया. दोनों युद्ध जीतने के कारण ही अंग्रेज़ों को भारत में अपना राज्य स्थापित करने में मदद मिली. इऩ युद्धों की पृष्ठभूमि में देश के दलितों को अंग्रेज फौज में भर्ती होने का अवसर मिला और उन्होंने अपने युद्ध कौशल का प्रमाण दिया. आगे चल कर अंग्रेज़ों ने दलितों के हित में कई कदम उठाए. लॉर्ड मैकाले ने अपने लगभग तीन वर्ष के कार्यकाल में नई शिक्षा प्रणाली शुरू की जिसने दलितों के लिए शिक्षा के रास्ते खोल दिए और भारत को Indian Penal Code और Criminal Procedure Code दे कर मनुस्मृति की काली छाया को समेट कर छोटा कर दिया.
भीमा-कोरेगाँव युद्ध पर एक विस्तृत आलेख
MEGHnet
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