आधुनिक इतिहासकारों में इस बात पर सहमति दिखाई देती
है कि पुराणों में कोसल सम्राटों के रूप में जिन मेघों (मघों) का उल्लेख किया गया
है वही कोशांबी में मिले शिलालेखों, सिक्कों और मुहरों पर
उत्कीर्ण मघ हैं. मघ शब्द को वे राजवंश की पदवी के रूप में देखते हैं जो उन राजाओं
के नाम के साथ जोड़ी जाती थी. ज़ाहिर है कभी इस वंश का बोलबाला रहा था जिसे
पौराणिकों ने अपनी रचनाओं से लगभग गुम कर दिया. पौराणिक उस काल में अपना साहित्य
रच रहे थे और उधर बाकियों की शिक्षा पर पाबंदी लगी हुई थी. लेकिन पौराणिक इतिहास
और धरती के नीचे दबे इतिहास की टकराहट में पुरातत्ववेत्ताओं की बात पहले भी भारी
थी और आज भी सशक्त है. इतिहासकारों के अनुसार मघ या मेघ राजाओं का शासनकाल पहली से तीसरी शताब्दी ईस्वी पड़ता है और उनका
शासन बंधोगढ़ से फतेहपुर तक था. उनके इस शासनकाल को ही पहले कभी अंधकारकाल या
डार्क एजिज़ के नाम से संक्षेप में समेट दिया जाता था. लेकिन वो अंधकार काल अब
प्रकाश में आ चुका है. लेकिन तीसरी शताब्दी के बाद का उनका समय अंधकारमय है. क्या
वो मघ या मेघ केवल बंधोगढ़ से फतेहपुर तक सीमित थे? ऐसा लगता नहीं.
कर्नल अलेग्ज़ांडरकन्निंघम ने बताया है कि मेघ सिकंदर के समय में सतलुज के
क्षेत्र में बसे हुए थे. कन्निंघम ने उन्हें मघ और मख के तौर पर भी उल्लेखित (mention)
किया है. इतना तो स्पष्ट है कि सिकंदर से पहले भी मेघों की स्थिति इस
क्षेत्र में रही होगी तो वो क्षेत्र कितना विस्तृत था इसका आकलन उन नामों से भी
किया जाना चाहिए जिन्हें मेघों के विभिन्न कबीलों और उनके विविध नामों से पहचाना
गया है. ऐसे कई नाम श्री आर.एल. गोत्रा ने अपने आलेख Meghs of
India में ‘Megh were Hadappan’ उप-शीर्षक के अंतर्गत
बताए हैं जैसे- भगत, जुलाहा, जुलाह, कबीरपंथी, मेद, मेध, मेधो, मेग, मेगल, मेगला, मेघ, मींह्ग, मेंग, मेन, मेंघवाल, मेघोवाल आदि. यह बहुत
महत्वपूर्ण है कि मेघ हड़प्पन (सिंधुघाटी) सभ्यता वाले क्षेत्र के निवासी थे.
इतिहासकारों ने इस क्षेत्र को बौध सभ्यता वाला क्षेत्र बताया है.
इतिहास की पुस्तकों में इस बात का ज़िक्र मिल जाता है
कि बुद्ध ने छठी शताब्दी ई.पू. में स्यालकोट में निवास किया था और यहाँ के लोगों
ने बौधमत अपनाया था. आगे चल कर इस क्षेत्र में पुष्यमित्र शुंग ने बौधों की
हत्याएँ कराईं और इस क्षेत्र पर अपना प्रभाव बनाया. उसके बाद मिनांडर ने पुष्यमित्र को हरा
कर इस क्षेत्र को अपने अधिकार में ले लिया और पूर्व में पाटलिपुत्र तक बढ़ गया.
रोचक खोज इतिहास की ...
ReplyDeleteजड़ों तक जाने का एक प्रयास जो हर किसी के मन में रहता है ...