"इतिहास - दृष्टि बदल चुकी है...इसलिए इतिहास भी बदल रहा है...दृश्य बदल रहे हैं ....स्वागत कीजिए ...जो नहीं दिख रहा था...वो दिखने लगा है...भारी उथल - पुथल है...मानों इतिहास में भूकंप आ गया हो...धूल के आवरण हट रहे हैं...स्वर्णिम इतिहास सामने आ रहा है...इतिहास की दबी - कुचली जनता अपना स्वर्णिम इतिहास पाकर गौरवान्वित है। इतिहास के इस नए नज़रिए को बधाई!" - डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह


02 August 2019

Megh Organisations, Siwan (Kaithal) - मेघ संगठन, सीवन (कैथल)

पिछले दिनों सुनने में आया था कि भगत महासभा नामक संगठन ने पेहोवा, हरियाणा में समुदाय का सम्मेलन किया था. संगठन के तौर पर भगत महासभा का हरियाणा में यह पहला सम्मेलन था. उसी कार्यक्रम में फैसला किया गया कि अगला कार्यक्रम मेघ जन की बड़ी आबादी वाले शहर सीवन में 28-7-2019 को किया जाएगा.

समझ नहीं आता कि इसे इत्तेफाक कहा जाए या पहचानने की चूक कि 28 जुलाई 2019 को सीवन के जिस सम्मेलन में हम पहुंचे वह 'भगत महासभा' का था जिसमें इस सभा के ऑल इंडिया प्रेसिडेंट राजकुमार प्रोफेसर खुद मुख्य अतिथि थे. बैनर पर उस दिन की तारीख के साथ "आर्य (मेघ) सभा सीवन और मेघ महासम्मेलन" लिखा था. भगत महासभा की इकाई यहां सक्रिय थी जिसने यह कार्यक्रम आयोजित किया था. जो मेहरबान मुझे चंडीगढ़ से सीवन ले गए थे उनके साथ मैं सबसे अगली पंक्ति के कोने में बैठ गया. वहाँ से बिना रुकावट बने फोटो लिए जा सकते थे. थोड़ी देर के बाद भगत महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार अपनी टीम के साथ आए जिसमें जम्मू, पंजाब, हरियाणा से कई और 1-2 राजस्थान से आए हुए सज्जन थे. उनके गले में हार थे और उन्होंने अगली कतार में बैठे हम सभी से प्रेम पूर्वक हाथ मिलाया. फिर उसके बाद हमें डिस्टर्ब किए बिना उनकी टीम के लिए सबसे आगे कुर्सियों की कतार लगाई गई. एक गणमान्य सज्जन ने मुझे भी आगे की कतार में आने के लिए कहा. मैंने मना किया. ('वहां गले में हार पड़ने का खतरा है,'' यह बात मैंने धीरे से अपने प्रिय मित्र ओमप्रकाश गडगाला जी के कान में कही थी. तब तक हमारे लिए "जाते थे जापान पहुँच गए चीन" जैसी स्थिति थी. 

कार्यक्रम शुरू होने पर अतिथियों का परिचय दिया गया तब स्पष्ट हो गया कि कार्यक्रम का आयोजन भगत महासभा की पेहोवा-सीवन की स्थानीय इकाई ने किया था. चंडीगढ़ से चल कर सीवन के ओम पैलेस में जा बैठने तक मुझे जिस आयोजक संस्था के आयोजन स्थल के पते के बारे में जो पता था उसका पता भी यही था (वेरी सॉरी कह रहा हूँ). यहां ऑल इंडिया मेघ सभा की सीवन शाखा के कार्यकर्ता मौजूद थे. सब को एक साथ देख कर मुझे अच्छा ही लगा.

एक बात शुरू में कहता चलूं कि हॉल पूरा भरा हुआ था (लगभग तीन-चार सौ की केपेसिटी रही होगी). महिला सहभागियों का काफी संख्या में आना उत्साहवर्धक था. महिलाओं की सहभागिता और ज़्यादा होनी चाहिए. मंच पर केवल डायस और माइक था और मंच संचालक की कुर्सी थी. वक्ता लोग श्रोताओं के साथ या आगे की कतार में बैठे थे. नाश्ते और भोजन का भी अच्छा प्रबंध था.

भगत महासभा जम्मू में सक्रिय सामाजिक संगठन है. पंजाब में इसकी गतिविधियां समय-समय पर देखी गई हैं. वक्ताओं ने इस अवसर पर जो कहा उसका सार नीचे दिया गया है :-

मेघ समाज के लोग एक मज़बूत और निरंतर आगे बढ़ने वाले (डायनेमिक) संगठन और सक्रिय, गतिशील तथा परिणाम उन्मुख नेतृत्व की जरूरत महसूस करते हैं जो सारे मेघ समाज को (इस संदर्भ में जम्मू, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़) में वैचारिक और संगठनात्मक नेतृत्व दे सके. मेघ समाज विभिन्न स्थानों पर विभिन्न नामों में बंटा हुआ है. जैसे मेघ, भगत, आर्य मेघ, आर्य भगत, कबीरपंथी, जुलाहा आदि. धर्म के नजरिए से मेघ आर्यसमाजी, कबीरपंथी, सिख, राधास्वामी, निरंकारी, सनातनी, डेरे, गद्दियां आदि में बँटे हुए दिखते हैं. वक्ताओं ने अपने समुदाय में शिक्षा के प्रसार के लिए और अधिक जोर देने के साथ-साथ धार्मिक नजरिए से बंटे-बिखरे दिख रहे समाज को सामाजिक संगठनों के माध्यम से इस प्रकार जोड़े रखने की जरूरत पर बल दिया कि समाज अपनी राजनीतिक आवश्यकताओं के लिए हर हाल में इकट्ठा रहे. धार्मिक और राजनीतिक विचारधाराएं जो समाज की एकता को खंडित करती हैं उसके बारे में समुदाय को शिक्षित और प्रशिक्षित किया जाए ताकि अपेक्षित सियासी लाभ मिल सके. इस संदर्भ में एक वक्ता ने 'मेघ-धर्म' का भी उल्लेख किया जिसकी अवधारणा (कन्सेप्ट) की व्याख्या ज़रूरी है (इस बारे में सोशल मीडिया पर काफी बहस हो चुकी है.)

जो मेघ छात्र शहरों में पढ़ने जाते हैं उनके रहने की व्यवस्था के लिए धर्मशालाएं बनाने की बात उठी. लुधियाना में उपलब्ध ऐसी धर्मशाला का उदाहरण दिया गया. सीवन में किए जा रहे ऐसे प्रयास की जानकारी दी गई जिसका मामला काफी आगे तक पहुँचा हुआ है.

कुछ वक्ताओं ने बताया कि समाज के लोग अक्सर पूछते हैं कि 'मेघ कौन होते हैं'. कई वक्ताओं ने अपने-अपने तरीके से इसका उत्तर दिया. एक वक्ता ने कहा कि 3000 साल पहले हमारे मकान पक्के होते थे, आज बहुत से मकान कच्चे हैं. ऐसा क्यों और कैसे हुआ इसकी संक्षेप में जानकारी दी गई.

पूर्व एमएलए श्री बूटा सिंह ने कहा कि लगभग सभी सामाजिक संगठनों के संविधान में लिखा रहता है कि यह संगठन गैर-राजनीतिक है जबकि सच्चाई यह है कि बिना राजनीतिक (सरकारी) सहायता के समाज का विकास बेहतर तरीके से नहीं हो पाता. राजनीतिक पार्टियों के नाम पर समाज बंट जाता है. दरअसल किसी राजनीतिक पार्टी से टिकट प्राप्त उम्मीदवार को सामाजिक संगठनों के समर्थन की जरूरत होती है और सामाजिक संगठनों की इसमें समुचित सहभागिता होनी चाहिए. (उनका इशारा इस ओर था कि सामाजिक संगठन अपने संविधान का उल्लंघन किए बिना भी सियासी माहौल बनाने और वोट मोबिलाइज़ करने का कार्य कर सकते हैं और प्रेशर ग्रुप (दबाव समूह) बन सकते हैं.)

जम्मू से आए एक प्रतिनिधि ने कहा कि संगठनों को अपने कार्य और कार्य प्रणाली में इतना मजबूत होना चाहिए कि राजनीतिक नेतृत्व को उनकी जरूरत महसूस हो. एक सुझाव यह था कि मेघ समाज के जम्मू, पंजाब और हरियाणा में बने सामाजिक संगठनों की एक कन्फेडरेशन बनाई जाए तो लाभ होगा.

भगत महासभा के अध्यक्ष श्री राजकुमार और ऑल इंडिया मेघ सभा के अध्यक्ष डॉ. सुरिंदर पाल, ऑल इंडिया मेघ सभा की सीवन शाखा के अध्यक्ष राजिंदर सिंह तहसीलदार ने अपने-अपने संगठनों के बारे में विस्तृत जानकारी दी और मेघ समाज के लिए निरंतर कार्य करते रहने का संकल्प दोहराया.

प्रमुख प्रतिनिधियों की सूची इस प्रकार है :-
(सर्वश्री) बोध राज भगत (राष्ट्रीय उपाधयक्ष, भगत महासभा  जम्मू कश्मीर) पवन भगत (चेयरमैन), मोहिंदर भगत (प्रदेश अध्यक्ष, जम्मू-कश्मीर), तरसेम भगत (सहअध्यक्ष), सीता राम भगत, जय भगत, नरेश भगत, सुशील भगत, भगत महासभा पंजाब के प्रदेश अधयक्ष, राजेश भगत (राजू), प्रो रंजीत भगत, रमेश परम्मानन्द, मोहन लाल हैप्पी, सत पाल भगत, विनय भगत, कुलदीप भगत, दर्शन डोगरा, संतोख भगत, डॉ ध्यान सिंह भगत और भक्ष्य नंद भारती (राजस्थान). अंत में अलग-अलग राज्यों से आए मेघ समाज के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया और स्मृतिचिह्न भेंट किए गए. (इस अवसर पर कोई प्रेस विज्ञप्ति जारी नहीं की गई थी तथापि यह नामों की ऊपर दी गई सूची जम्मू से प्रकाशित न्यूज़ पोर्टल  www.earlyindianews.com से ली गई है जिसका लिंक यहाँ है.)












4 comments:

  1. समाज को जागरूक और एकता संगठन बनाए रखने के लिए ऐसे सम्मलेन बहुत उपयोगी रहते हैं ...

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    1. बहुत शुक्रिया आपका दिगंबर जी.

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  2. बहुत ही अच्छा प्रयास है ये भगत महासभा द्वारा, ऐसे सम्मेलन होते रहने चाहिए. भूषण जी ने जिस तरह से इसका विस्तार पूर्वक वर्णन किया है वह अत्यन्त सराहनीय है
    धन्यवाद भारत भूषण जी

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