"इतिहास - दृष्टि बदल चुकी है...इसलिए इतिहास भी बदल रहा है...दृश्य बदल रहे हैं ....स्वागत कीजिए ...जो नहीं दिख रहा था...वो दिखने लगा है...भारी उथल - पुथल है...मानों इतिहास में भूकंप आ गया हो...धूल के आवरण हट रहे हैं...स्वर्णिम इतिहास सामने आ रहा है...इतिहास की दबी - कुचली जनता अपना स्वर्णिम इतिहास पाकर गौरवान्वित है। इतिहास के इस नए नज़रिए को बधाई!" - डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह


25 April 2021

Caste and Political Divisions - जाति और सियासी विभाजन

 नवल वियोगी ने हाशिए की उन जातियों का इतिहास ढूँढा है जो आज अलग-अलग पहचान रखती हैं लेकिन अतीत में एक ही बड़े कबीले के रूप में दिखाई देती हैं.

    डॉ नवल वियोगी ने अपनी पुस्तक 'मद्रों और मेघों का प्राचीन और आधुनिक इतिहास' में महामहिम बाबू परमानंद को मेघ जाति का बताया है. कैसे बताया वही जानते होंगे लेकिन उनकी बात पर मुझे शक था. कुछ मेघ मंत्री बने हैं लेकिन कोई मेघ राज्यपाल बनाया गया हो ऐसा कभी सुना नहीं. फिर भी उस पर एक पोस्ट मैंने सोशल मीडिया पर डाल दी जिस पर बहस छिड़ गई. मेरी मंशा यह थी कि जिन समाजसेवियों ने मेघ जाति के लिए कार्य किया, चाहे वे किसी भी समाज से हों, उनकी याद कायम रखने का हीला करना चाहिए. लेकिन जैसा कि अक्सर होता है सियासी शख़्सियत पर चर्चा उनकी जाति तक आते ही राजनीति में चली जाती है. 

    सोशल मीडिया पर और बाहर भी पर्याप्त रूप से लोगों ने जानकारी दी कि बाबू परमानंद मेघ जाति से नहीं थे और यह भी कि उनके और भगत छज्जूराम (मेघ) जी के राजनीतिक हितों में टकराव था. अब नवल वियोगी जी तो दुनिया में हैं नहीं कि उनसे कुछ पूछा जा सकता. सो मैंने उस पोस्ट को डिलीट करना बेहतर समझा.

    नवल वियोगी जी की चूक भी इतिहासिक हो गई है.😊 ख़ैर! जिस इतिहासकार ने इतना बड़ा असंभव-सा लगने वाला कार्य किया उससे हुई ऐसी मामूली चूक नज़रअंदाज़ करने के काबिल है.    


2 comments:

  1. जाति की राजनीति तो होती ही है पर दिख रहा है कि राजनीति की भी जाति होती है । बहुत बढ़िया ।

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  2. जहाँ राजनीति आ जाये वहाँ विवाद न आए ऐसे हो नहीं सकता ...
    राजनीति अपने अप में एक वर्ग है जिसकी जाती भी राजनीति ही है ...

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