"इतिहास - दृष्टि बदल चुकी है...इसलिए इतिहास भी बदल रहा है...दृश्य बदल रहे हैं ....स्वागत कीजिए ...जो नहीं दिख रहा था...वो दिखने लगा है...भारी उथल - पुथल है...मानों इतिहास में भूकंप आ गया हो...धूल के आवरण हट रहे हैं...स्वर्णिम इतिहास सामने आ रहा है...इतिहास की दबी - कुचली जनता अपना स्वर्णिम इतिहास पाकर गौरवान्वित है। इतिहास के इस नए नज़रिए को बधाई!" - डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह


05 October 2012

Indian weavers - a unique community - भारतीय जुलाहे - एक अद्भुत समुदाय



क्या कोई व्यक्ति अपनी आय के साधन को थाली में रख कर किसी अन्य के हाथ में सौंप देता है? हाँभारत के जुलाहों में यह बात है. उन्होंने उन सरकारी नीतियों के विरुद्ध संगठित आंदोलन नहीं चलाया जिनकी मदद से देश भर के मेघवंशी जुलाहों, बुनकरों, अंसारियों का व्यवसाय तबाह करके किन्हीं अन्य हाथों में सौंप दिया गया. एक करोड़ जुलाहे रोज़गार से बाहर हो गए.

भाई ग़रीब से अकिंचन हो जाने से बेहतर है कि ग़रीब से बेहतर कुछ बना जाए.

अंग्रेज सौदागर भारतीय कारीगरों को लुटते थे




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