मेघ भगतों की सामाजिक संस्था भगत महासभा (Bhagat Mahasabha),
जम्मू पिछले चार वर्ष से कबीर का प्रकाशोत्सव पैरेड
ग्राऊँड, जम्मू में मनाती आ रही है. वर्ष 2010 में मैंने जम्मू में 612वें
प्रकाशोत्सव का कार्यक्रम देखा था. मेघ भगतों का इतना बड़ा सामाजिक-धार्मिक
समागम उससे पूर्व मैंने कहीं नहीं देखा था. 03-07-2010 को MEGHnet की यह पहली
पोस्ट बनी. इससे पूर्व 10-06-2012 से मैं Megh Bhagat ब्लॉग लिख रहा था. (इसी बहाने याद आया है कि मेरी ब्लॉगिंग के दो साल होने को आए हैं.)
इस वर्ष भी जम्मू का पारा 44-45 डिग्री सेल्सियस के आसपास चल रहा था और आयोजन की
तिथि (04-06-2012) की सूचना मिल चुकी थी. डॉ. ध्यान सिंह से बात हुई और हम दोनों जम्मू
पहुँचे. वे इस कार्यक्रम को देखने के लिए बहुत उत्सुक थे. 03-06-2012 को सायं हम पैरेड ग्राऊँड में गए जहाँ भगत महासभा के कार्यकर्ता आवश्यक
प्रबंध करा रहे थे. डॉ. ध्यान सिंह शोधकर्ता
हैं. पैरेड ग्राऊँड में
वे अपना कार्य जारी रखे हुए थे. वे लोगों से बातचीत करते रहे, सवाल पूछते
रहे
और जानकारी साझा करते रहे. उनका एक प्रश्न बहुतों के लिए चौंकाने वाला था
जब
उन्होंने पूछा कि आप कब से कबीरपंथी हैं. उनके इस कठिन प्रश्न के कई उत्तर आए
जिन्हें किसी और अवसर पर लिखने के लिए रख छोड़ा है.
यह देख कर खुशी होती है कि भगत महासभा, जम्मू के कार्यकर्ता युवा हैं. जम्मू क्षेत्र में डॉ. राजेश भगत के नेतृत्व में एक बहुत बढ़िया टीम मेघों की सामाजिक और धार्मिक एकता के लिए सक्रिय है. यह लग़ातार काम कर रही है. सभी कार्यवाहियाँ टीम की भावना के साथ पूरी की जाती हैं. मेरी जानकारी के अनुसार, मेघों के किसी भी अन्य सामाजिक संगठन की अपेक्षा भगत महासभा का यह यूनिट अधिक कार्य कर पाया है और गाँव-गाँव में जा कर, लोगों से रूबरू हो कर एक वर्ष में बीसियों कार्यक्रम करने में सफल हुआ है. इसका मिशन मेघ भगतों को एक मज़बूत मंच देना है. प्राप्त अनुभव के साथ-साथ स्पष्ट दृष्टिकोण से यह टीम अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर है.
यह देख कर खुशी होती है कि भगत महासभा, जम्मू के कार्यकर्ता युवा हैं. जम्मू क्षेत्र में डॉ. राजेश भगत के नेतृत्व में एक बहुत बढ़िया टीम मेघों की सामाजिक और धार्मिक एकता के लिए सक्रिय है. यह लग़ातार काम कर रही है. सभी कार्यवाहियाँ टीम की भावना के साथ पूरी की जाती हैं. मेरी जानकारी के अनुसार, मेघों के किसी भी अन्य सामाजिक संगठन की अपेक्षा भगत महासभा का यह यूनिट अधिक कार्य कर पाया है और गाँव-गाँव में जा कर, लोगों से रूबरू हो कर एक वर्ष में बीसियों कार्यक्रम करने में सफल हुआ है. इसका मिशन मेघ भगतों को एक मज़बूत मंच देना है. प्राप्त अनुभव के साथ-साथ स्पष्ट दृष्टिकोण से यह टीम अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर है.
04-06-2012 को मुख्य कार्यक्रम था. तवी नदी गर्मी से गड़क रही थी और पैरेड
ग्राऊँड तप रहा था. सुबह 10.00 बजे तक लोग आने शुरू हुए. डेढ़ घंटे में पंडाल भरने लगा. फिर जम्मू के आसपास के स्थानों/गाँवों से लोग पहुँचने लगे. तीन
से चार हज़ार के आसपास लोग एकत्रित हो चुके थे. किसी सामाजिक या धार्मिक कार्यक्रम
में मेघों का इतनी संख्या में पहुँचना और उन्हें देखना सुखद अनुभव था. (उल्लेखनीय
है कि मेघों के अन्य संगठनों ने इस अवसर पर अलग-अलग स्थानों पर अपने कार्यक्रम
आयोजित किए थे.)
इस बार भगत महासभा ने सत्संग और भजनों के कार्यक्रम के अतिरिक्त 90% से अधिक अंक पाने वाले होनहार छात्र-छात्राओं को मुख्य अतिथि और जम्मू-कश्मीर
के उप मुख्यमंत्री श्री तारा चंद के कर कमलों से ट्राफियाँ दिलवा कर उनका सम्मान
किया. ऐसे ही केएएस और आईएएस की परीक्षाएँ पास करने वाले युवाओं का भी सम्मान किया
गया. इन युवाओं का उत्साह और आत्मविश्वास देखने योग्य था.
इस मौके पर डॉ. ध्यान सिंह, के मेघ भगतों (कबीरपंथियों) पर लिखे
गए पहले शोधग्रंथ- ‘पंजाब में कबीरपंथ का उद्भव और विकास’- के महत्व को मान्यता देते हुए भगत महासभा ने उन्हें उप मुख्यमंत्री के
कर कमलों से सम्मानित किया. डॉ. ध्यान सिंह को कई फोरम सम्मानित कर चुके हैं
लेकिन उनके अपने समुदाय की ओर से किया गया यह सम्मान अपनी तरह का पहला था. जहाँ इस
सम्मान का डॉ. ध्यान सिंह के लिए महत्व है, वहीं भगत महासभा, जम्मू बधाई की पात्र है
और वह अपनी इस पहल पर गर्व कर सकेगी.
भगत
महासभा ने उप मुख्यमंत्री महोदय से अपने धार्मिक-सामाजिक कार्यों और विकास
के लिए माँगें रखीं. ईश्वर से प्रार्थना है और पूर्ण आशा है कि सरकारी
मदद मिल जाएगी.
MEGHnet
bahut hi acchi jankari di sir aapne
ReplyDeletemujhe to kafi cheeze pata nahi thi
Thanks
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विज़िट के लिए आभार जोशी जी.
Deleteआजीवन ढोंग-पाखंड-आडंबर पर प्रहार करने वाले महान संत कबीर दास जी के जन्मोत्सव को भी अनुयाइयों ने आडंबर और प्रदर्शन से रंग दिया जैसा कि चित्रों से ज्ञात हुआ। यह तो उस महात्मा की शिक्षा के विपरीत हुआ।
ReplyDeleteविज़िट के लिए आभार मथुर जी. यह कार्यक्रम मैंने स्वयं देखा है. कबीर के बहाने यह सामाजिक समागम अधिक था जो एक गेटटुगेदर की खुशी में बदल गया और लोग खूब नाचे-झूमे. सच्चाई यह है कि मेघ भगत समुदाय में कबीर की शिक्षाओं का नितांत अभाव है. अतः आप जिसे आडंबर कह रहे हैं वह प्रकारांतर से कबीर की शिक्षा का अभाव ही है.
Deleteमुझे तो ख़ुशी हुई इस समागम को देख कर ..एक उभरता कश्मीर दिख रहा है..जहां केवल अमन-चैन हो..और ऐसे ही उत्सव होता रहे..
ReplyDeleteआभार अमृता जी.
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