मोहन लाल भास्कर पाकिस्तान
में जासूस था. कोट लखपत की जेल के अँधेरे में अमानवीय यात्नाओं से तंग आ चुका मोहन जेलर को देखते ही ऊँची आवाज़ में उसे माँ-बहन की गंदी गालियाँ लग़ातार देता जाता ताकि वह एक ही बार पीट-पीट कर मोहन की हत्या कर दे. लेकिन जेलर ठंडे
मन से उसकी गालियाँ सुनता और यात्नाएँ सलीके से देता. बाद में मोहन प्रधान मंत्री
मोरार जी देसाई से मिला. अपनी कथा सुनाई.
जासूस किसी सरकारी कर्मचारी
की नहीं बल्कि निजी हैसियत से शत्रुदेश में जाता है. सूचना के लिए महीनों पागलों
की तरह घूमता है, धीमा
और बोरिंग काम. यदि दुश्मन के राकेटों के
ज़खीरे में आग लगाई जा सके तो ठीक-ठाक रकम मिल सकती है लेकिन मर गए तो शहीदों में शुमार नहीं हो सकते.
मोहन भास्कर की (शायद) पेंशन की माँग
सुन कर मोरार जी ने खरी-खरी सुना दी जिसे याद करते हुए उसने लिखा है- ‘यदि उस समय मेरे पास रिवाल्वर होता तो मैं सारी गोलियाँ मोरार जी के
सीने में उतार देता’. सुरजीत यार, तुम ऐसा कोई फिल्मी डॉयलाग न बोलना. तुम्हारे इंटरव्यू के बाद अब तक सरबजीत
का कितना दिमाग़ निचोड़ा गया होगा किसको पता.
जासूसी अविश्वास की दुनिया है. जासूस दुश्मन की जेल में हो या बाहर उसके डबल-क्रॉस होने की आशंका बनी रहती है. सीमा पार से दुश्मन उसे स्कैन करता है. दुश्मन के जासूस उसे उसके ही देश में अगुवा कर सकते हैं.
तो जासूस एक तरह की लंबी नाक होती है जिसे खतरा सूँघने के लिए दूसरे मुल्क में रख दिया जाता है लेकिन उस पर भरोसा नहीं किया जाता. लग़ातार सत्यापन होता है. यह नाक पकड़ी जाए तो कोई देश स्वीकार नहीं करता कि पकड़ी गई नाक उसी देश की है.
मैं पाकिस्तान में भारत का जासूस था- मोहन लाल भास्कर
मैं पाकिस्तान में भारत का जासूस था- मोहन लाल भास्कर
web of spies form the base of intelligence...
ReplyDeleteI guess they get very less credit than they deserve... they are unsung heroes...
well if conditions are too bad to tolerate.. same spies are dangerous tools.
You have rightly said the truth, Jyoti.
Deleteबिल्कुल सही कहा ... सार्थकता लिए सटीक लेखन ... आभार
ReplyDeleteआपका आभार सीमा जी.
Deleteअमेरिकी पत्रकार हर्षमेन ने तो मोरारजी को ही CIA का भारत मे एजेंट बताया था जिसके विरुद्ध वह केस हार गए थे।
ReplyDeleteमेरे लिए यह जानकारी नई है. आपको धन्यवाद.
DeleteMaine to abhi is baare mein itna socha hi nahi tha… sach mein jasoosi jivan ka andhera paksh hai… aur saare bade aur successful desh jasoosi karwaate hain… :-(
ReplyDeleteYes Gudia, it is sad aspect of protection against aggression.
Deleteजासूसी की दुनिया एक तिलिस्म है जिसके बारे में भीतर वालों को भी नहीं पता होता
ReplyDeleteटिप्पणी के लिए आभार लेकिन आप ने मेरे बनाए चित्र के बारे में कुछ नहीं कहा. इसे मैंने पेंटब्रश से बनाया है. कोई बात नहीं फिर सही.
Deleteजासूस एक तरह की लंबी नाक होती है जिसे खतरा सूँघने के लिए दूसरे मुल्क में रख दिया जाता है लेकिन उस पर पूरा भरोसा नहीं किया जाता. लग़ातार सत्यापन होता है. यह नाक पकड़ी जाए तो कोई देश स्वीकार नहीं करता कि पकड़ी गई नाक मेरी है. हा हा... :)) एकदम सही बात लिखी है अंकल आपने बहुत सही ऐसा ही तो होता है। सार्थक पोस्ट
ReplyDeleteकटाक्ष मे इतना बडा सत्य कहना । बहुत खूब।
ReplyDeleteP.N. Subramanian ✆ to me
ReplyDeleteसत्य वचन. बहुत सारे किस्से कहानियां पढ़ी थीं.
भारतीय जेम्स बांड बनाया है आपने.... आपका नजरिया किसी भी मुद्दे के प्रति आकर्षित करता है..रोचक..
ReplyDeleteਡਾ. ਹਰਦੀਪ ਕੌਰ ਸੰਧੂ ✆ to me
ReplyDeleteਮਾਣਯੋਗ ਭਾਰਤ ਭੂਸ਼ਣ ਜੀ,
ਬਹੁਤ ਦੇਰ ਬਾਦ ਆਪ ਜੀ ਦਾ ਲੇਖਣ ਪੜ੍ਹਨ ਦਾ ਸਬੱਬ ਬਣਿਆ। ਇਸ ਲਈ ਖਿਮਾ ਦੀ ਜਾਚਕ ਹਾਂ।
ਆਪ ਵਲੋਂ ਲਿਖਿਆ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਹੀ ਸ਼ਲਾਘਾਯੋਗ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਤੁਸੀਂ ਨਵੇਂ-ਨਵੇਂ ਵਿਸ਼ੇ ਲੈਂਦੇ ਹੋ ਤੇ ਬੜੇ ਹੀ ਸਾਦਾ ਜਿਹੇ ਢੰਗ ਨਾਲ਼ ਔਖੀ ਗੱਲ ਨੂੰ ਸਹਿਜੇ ਹੀ ਸਮਝਾ ਦਿੰਦੇ ਹੋ।
ਕਿੰਨਾ ਵਧੀਆ ਲਿਖਿਆ ਹੈ ਜਸੂਸ ਬਾਰੇ........
जासूस एक तरह की लंबी नाक होती है जिसे खतरा सूँघने के लिए दूसरे मुल्क में रख दिया जाता है।
ਏਸ ਤੋਂ ਸਰਲ ਹੋਰ ਕੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਕੀ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ ਜਸੂਸ ਦੀ ?
thanks for sharing...
ReplyDeleteye bahut achhi kitaab hai. Maine bhi padhi hai.
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