कभी
मेरे सहपाठी रहे डॉ. विजय छाबड़ा से संपर्क किया. जाँच के बाद उन्होंने कहा, "यह
कोई तकलीफ नहीं है जो तुम बता रहे हो. इट इज़ जस्ट एग्ज़ेग्रेशन ऑफ़ नार्मल फिनॉमिना." (अर्थात् कुछ अधिक है पर सामान्य है) मैं कूदता-फाँदता घर आ गया.
Dr. J.B.D. Castro |
कुछ दिन पहले किसी ने बताया है कि जिसे वाक़ई दिल की तकलीफ होती है उसकी आँखों में चिंता होती है और वह डॉक्टर को रिपोर्ट करते समय मुस्करा नहीं सकता. जबकि डॉ. कैस्ट्रो के गाने पर मैं मुस्करा रहा था. शायद डॉ. कैस्ट्रो इसी लक्षण को जाँच-परख रहे थे.
‘एग्ज़ेग्रेशन’ के लिए तीन पुड़िया उन्होंने दी थीं. आज धड़कन है लेकिन ‘नार्मल फिनॉमिना’ है. 39 वर्ष बीत चुके हैं. कल का पता नहीं. गारंटी कोई मेडिकल सिस्टम नहीं देता.
Dr. Castro's site
Nobel laureate gives homeopathy a boost (यह महत्वपूर्ण यह लिंक प्रिय भाई सतीश सक्सेना ने टिप्पणी के द्वारा भेजा है. आभार.)
Dr. J.B.D. Castro
Dr. Dinesh Sahajpal
Nobel laureate gives homeopathy a boost (यह महत्वपूर्ण यह लिंक प्रिय भाई सतीश सक्सेना ने टिप्पणी के द्वारा भेजा है. आभार.)
Dr. J.B.D. Castro
Dr. Dinesh Sahajpal
डॉ कास्टरों का होमयों पैथी इलाज का कमाल आपने अच्छी तरह वर्णन किया है। इस पद्धति मे लक्षणों के अनुसार उसी प्रकार चिकित्सा की जाती है जिस प्रकार 'आयुर्वेद' मे 'सादृश्य से सादृश्य' सिद्धान्त के अनुसार। एलोपैथी के मुक़ाबले यह सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है।
ReplyDeleteमाथुर साहब, मुझे कई बार लगता है कि हनीमन को आयुर्वेद के इस सिद्धांत की जानकारी थी. 'विषस्य विषमौषधम्' के सिद्धांत को अपनाते हुए लक्षणों पर ध्यान दिया और हनीमन ने बेजोड़ चिकित्सा पद्धति का विकास किया जिसकी तूती एलोपैथी में भी बोलने लगी. नीचे सतीश सक्सेना जी ने जो पहला लिंक दिया है वह देखने योग्य है.
Deleteमैं इसे मानवता के लिए वरदान मानता हूँ , इस विषय पर दो एक पोस्ट पहले लिख चुका हूँ अगर रूचि हो तो पढियेगा !
ReplyDeletehttp://satish-saxena.blogspot.in/2010/07/blog-post_05.html
http://satish-saxena.blogspot.in/2010/08/blog-post_07.html
आपका आभार भाई. आपके भेजे लिंक्स में से एक को आलेख में शामिल कर लिया है. इस जानकारी के लिए हार्दिक आभार.
Deleteमैं भी आप सबों से सहमत हूँ..
ReplyDeleteहोम्योपैथी ... बिल्कुल सही कहा है आपने ... पूर्णत: सहमत हूँ ... आभार
ReplyDeleteएक होमियोपैथी चिकित्सक की श्रेष्ठता यही है कि वह तन में नहीं वरन् मन और हृदय में झांककर रोग का निदान करता है।
ReplyDeleteरोचक प्रसंग।