"इतिहास - दृष्टि बदल चुकी है...इसलिए इतिहास भी बदल रहा है...दृश्य बदल रहे हैं ....स्वागत कीजिए ...जो नहीं दिख रहा था...वो दिखने लगा है...भारी उथल - पुथल है...मानों इतिहास में भूकंप आ गया हो...धूल के आवरण हट रहे हैं...स्वर्णिम इतिहास सामने आ रहा है...इतिहास की दबी - कुचली जनता अपना स्वर्णिम इतिहास पाकर गौरवान्वित है। इतिहास के इस नए नज़रिए को बधाई!" - डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह


14 September 2013

Religious and Caste Riots - धार्मिक और जातीय दंगे

मुलायम सिंह ने कहा कि मुज़फ़्फ़रपुर में हुए दंगे धार्मिक नहीं जातीय थे. कुछ सवाल मन में उठे हैं :-

1.
क्या जातीय दंगे कहने से उनकी गंभीरता कम हो जाती है?
2. 90
प्रतिशत मुसलमान जातिवाद से तंग आकर धर्मांतरण करके मुसलमान बने हैं. उनके विरुद्ध दंगे क्या केवल धार्मिक दंगे हैं?
3.
यदि मुसलमान और दलित अपना एक वोट बैंक मज़बूत करके कांग्रेस, बीजेपी और एसपी के खिलाफ वोट डालें तो क्या यह बेहतर नहीं होगा?
अब तक 47 लोग काट डाले गए हैं. वैसे यह प्रश्न भी पीछा नहीं छोड़ता कि अचानक गली-कूचों में इतने हथियार कहाँ से निकल आते हैं! सरकार जी, आपने हथियार जब्त करने का कानून बनाया हुआ है न? बना के कहाँ रख दिया हुजूर? Civil War कराने का इरादा है क्या?
MEGHnet





3 comments:

  1. राजनीति करने वाले जो न करें सो कम है ... ये कभी नहीं मरते ...

    ReplyDelete
  2. चुनाव तक न जाने कौन-कौन सा 'वार' होगा .. और कौन-कौन इसकी चपेट में आयेंगे सोच कर ही मन डर जाता है..

    ReplyDelete
  3. प्रश्‍न अनेक, उत्‍तर मूक।

    ReplyDelete