प्राचीन
मेघ राजाओं के बारे में
इतिहासकारों का क्या कहना है
इसके बारे में ताराराम जी ने
फोटो भेजे थे.
इसमें
एक पुस्तक-
'भारतवर्ष
का अंधकारयुगीन इतिहास'
(पृष्ठ
161)
की
फोटोप्रति भी इसमें
शामिल थी.
यह
पुस्तक प्रो.
काशी
प्रसाद जायसवाल ने लिखी है.
इसे
पढ़ कर अब गर्व से कहने को दिल
करता है कि-
"मैं
मेघ हूँ.
मैं
अपना इतिहास जानता हूँ.
मेरे
पुरखे सम्राट थे.
शक्तिशाली
और बुद्धिमान थे."
"वाकाटकों
के समय में कोसला के एक के बाद
एक इस प्रकार नौ शासक हुए थे,
पर
भागवत के अनुसार इनकी संख्या
सात ही है.
ये
लोग मेघ कहलाते थे.
संभव
है कि ये लोग उड़ीसा तथा कलिंग
के उन्हीं चेदियों के वंशज
हों जो खारवेल के वंशधर थे और
जो अपने साम्राज्यकाल में
महामेघ कहलाते थे.
अपनी
सात या नौ पीढ़ियों के कारण
ये लोग मूलतः विंध्यशक्ति के
समय तक जब कि आंध्र पर विजय
प्राप्त की गई थी,
या
उससे भी और पहले भारशिवों के
समय तक जा पहुँचते हैं.
विष्णुपुराण
के अनुसार कोसला प्रदेश के
सात विभाग थे (सप्त
कोसला).
पुराणों
में कहा गया है कि ये शासक बहुत
शक्तिशाली और बहुत बुद्धिमान
थे.
गुप्तों
के समय में मेघ लोग हमें फिर
कोशांबी के शासकों और गवर्नरों
के रूप में मिलते हैं जहाँ
उनके दो शिलालेख मिले हैं."
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