जब कोई मेघ भगत अपने बेहतरीन कार्य के लिए जाना जाता है, मान्यता पा कर सुर्ख़ियों में आता है तो मेघ समाज गौरवान्वित महसूस करता है. पिछले महीने पता चला था कि श्री रवि भगत को केंद्र सरकार ने उनकी बेहतरीन प्रशासनिक सेवाओं के लिए दिल्ली बुला कर शाबाशी दी है.
The Tribune समाचार पत्र ने अपने 11 फरवरी के अंक में ‘पंजाब के पैडमैन’ के तौर पर रवि भगत के बारे में एक स्टोरी छापी है (इन दिनों अक्षय कुमार की फिल्म Padman चर्चा में है). नितिन जैन द्वारा की गई स्टोरी बहुत रुचिकर है. इसमें बताया गया है कि फिल्म बनाने वालों को यह विचार तो बाद में आया उससे पहले पंजाब के ज़िला फरीदकोट, अमृतसर और लुधियाना में उपायुक्त रह चुके एक आईएएस अधिकारी रवि भगत ने ग्रामीण और गरीब महिलाओं को माहवारी के दौरान इस्तेमाल होने वाले सस्ते सेनेटरी नेपकिंस उपलब्ध कराने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण कार्य कर दिया था. यह आलेख आप इस लिंक पर पढ़ सकते हैं - Punjab’s ‘Padman’ has rendered yeoman service
अब रवि भगत के बहाने से कुछ कहना भी है.
गर्व महसूस करते हुए सोच रहा हूँ कि रवि के कार्य को जो मान्यता (recognition) मिली है उसके पीछे उसकी कितनी मेहनत लगी होगी. निश्चय ही उसने अन्य के मुकाबले ज़्यादा और उम्दा कार्य किया है. इस संदर्भ में स्नेहलता कुमार को भी याद किया जा सकता है.
हमारे समाज के अन्य प्रोफेशनल भी जानते हैं कि सफलता के लिए प्रोफेशन पर फोकस रखना, अपनी बुद्धि का अधिकतम और कई गुणा इस्तेमाल करना, अपने फील्ड के बारे में गहन अध्ययन करना बहुत ज़रूरी है. समाज में उनका कंपीटिशन उनके साथ है जिनके पास बहुत शैक्षणिक पूँजी है. उनके पास बहुत बुद्धिजीवी हैं. हमारा समाज अभी शैक्षणिक पूँजी के निर्माण की प्रक्रिया में है.
प्रोफेशनल सफलता के लिए ज़रूरी है कि फ़ालतू की क्रांतिकारिता से बचा जाए. बिरादरीवाद आपकी बहुत मदद नहीं करता. ये चीज़ें नॉन-प्रोफेशनल्ज़ के लिए छोड़ दें.
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