पिछले दिनों सोशल मीडिया पर जालंधर में 'मेघ
ऋषि दिवस' मनाने को लेकर चर्चा रही. 'मेघ ऋषि' की बात मेघ समाज के लिए नई
नहीं है. मेघ ऋषि का नाम मैंने ख़ुद बहुत बचपन में माता-पिता से सुना. उसके बाद जो जाना वह इस ब्लॉग पर कुछ जगह पहले से दर्ज है. अब चूँकि इस बारे में सोशल मीडिया पर काफी चर्चा रही है तो इस इवेंट की ओर अधिक लोगों का ध्यान ज़रूर गया होगा.
हम अपने प्राचीन काल के मेघ ऋषि जैसे नायकों की तलाश करते रहते हैं जिनके कारण हमारे समाज का और हमारा नाम जिंदा है. मेघ ऋषि का नाम वृत्र या प्रथम मेघ (यानि मेघ कबीले का राजा या मुखिया) के तौर पर ऋग्वेद और संस्कृत में लिखे अन्य ग्रंथों में अपने समय के 10 महान योद्धाओं में शामिल हैं. ऐसे नायकों की तलाश हमारी प्यास है और उनकी पुनर्स्थापना हमारे गौरव की ज़रूरत है.
खुशी हुई जब 15 दिसंबर, 2019 को जालंधर में मेघ ऋषि दिवस का आयोजन 'हिंदुस्तान मेघ सेना' के तत्त्वाधान में किया गया. इसमें मेघ ऋषि की शोभायात्रा भी निकाली गई. इस कार्यक्रम में जालंधर (पश्चिम) के विधायक श्री सुशील रिंकू, आप पार्टी के डॉ. शिवदयाल माली, शिव सेना के श्री सुभाष गोरिया और कई अन्य स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं आदि की उपस्थिति रही जिनका विस्तृत वर्णन नीचे की प्रेस कटिंग में मिल जाएगा. कार्यक्रम से संबंधित मीडिया कवरेज और एक वीडियो का लिंक नीचे दे दिया गया है.
हरियाणा के सीवन में भी मेघ ऋषि दिवस का आयोजन किया गया. संबंधित प्रेस कटिंग नीचे दी गई है.
अपने पूर्वजों को याद रखना और उनसे जुड़ा रहना भी इतिहास की एक खोज ही है ...
ReplyDeleteऋषि जैसे नायकों के कारण हमारे समाज का और हमारा नाम जिंदा है
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