"इतिहास - दृष्टि बदल चुकी है...इसलिए इतिहास भी बदल रहा है...दृश्य बदल रहे हैं ....स्वागत कीजिए ...जो नहीं दिख रहा था...वो दिखने लगा है...भारी उथल - पुथल है...मानों इतिहास में भूकंप आ गया हो...धूल के आवरण हट रहे हैं...स्वर्णिम इतिहास सामने आ रहा है...इतिहास की दबी - कुचली जनता अपना स्वर्णिम इतिहास पाकर गौरवान्वित है। इतिहास के इस नए नज़रिए को बधाई!" - डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह


11 September 2010

Megh Vandana - मेघ वंदना

(प्रत्येक व्यक्ति अपनी, समाज की और देश की उन्नति के लिए किसी को इष्ट बना कर प्रार्थना करता है. ऐसी कुछ प्रार्थनाएँ मेघनेट पर पहले से उपलब्ध हैं. मेघ चेतना पत्रिका के दूसरे अंक में श्री यशपाल भगत, आई.ई.एस. की लिखी एक प्रार्थना मिली. इसे मेघनेट पर संभाल लेना चाहता हूँ. यदि आपकी जानकारी में ऐसी अन्य रचनाएँ हों तो कृपया संपर्क करें. ऐसी रचनाओं का एक लिंक इसी ब्लॉग पर Must Visit के नीचे हमारी प्रार्थनाएँ शीर्षक से बना दिया गया है. ये कभी पुस्तकाकार हो कर हमारा मार्ग प्रशस्त करेंगी. साहित्य हमारा हित करता है. प्रार्थनाएँ हमारा भविष्य बनाती हैं.)
   
हे मालिक! ईश्वर, मेरे ख़ुदा।
तेरे चरणों में सजदा करें हम सदा।

हाथ जोड़ करें मेघ यह विनती।
सरबत का भला सब की हो उन्नति।
हर बुराई को कह दें हम अलविदा।
हे मालिक, ईश्वर, मेरे ख़ुदा।

दीन दुखियों को, उठने की दो हिम्मत।
तेरी रहमत से दुनिया बने जन्नत।
हो सच्चाई हमारी सदा संपदा।
हे मालिक, ईश्वर, मेरे ख़ुदा।

बूँद बन कर गिरें, हम मोती बनें।
बुझ न पाए जो वह मेघ ज्योति बनें।
हक़ के लिए सब कुछ कर दें फ़िदा।
हे मालिक, ईश्वर, मेरे ख़ुदा।

सप्त सिंधु के मेघों को वरदान दो।
जो वतन पर मिटे ऐसी संतान दो।
शान से हम जिएँ हो ऐसी अदा।
हे मालिक, ईश्वर, मेरे ख़ुदा।

                यशपाल भगत
                साभार: मेघ चेतना


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