प्रत्येक समाज का सपना होता है कि उसका एक अपना
समाचार-पत्र या पत्रिका हो जो उसकी तस्वीर को सही तरीके से प्रस्तुत करे. समाजिक
छवि,
आर्थिक समर्थन, राजनीतिक
पैठ आदि जैसे मामलों में समुदाय की बात को सही जगह पहुँचाने में सक्षम हो.
वैवाहिकी (matrimonial), विज्ञापन, नौकरी की तलाश आदि में सहायक हो. सबसे
बढ़ कर समुदाय को शिक्षित करने और सही तथा शीघ्र सूचनाएँ देने का कार्य कर सके. इन
दिनों कई पिछड़े समुदाय इस बात के बारे में भी गंभीरता से प्रतिक्रिया करने लगे
हैं कि राष्ट्रीय माडिया उनकी बात को सही परिप्रेक्ष्य में नहीं उठाता. ऐसे में उन्होंने
नयूज़लेटर जैसे समाचार-पत्रों का प्रकाशन का सहारा लिया है. कुछ ऐसे पत्र मुझे
मिले हैं जिन्हें यहाँ प्रदर्शित कर रहा हूँ. उनकी कुछ विशेषताएँ (समीक्षा नहीं)
यहाँ दे रहा हूँ.
‘उदय
मेघ’ (Uday Megh)जयपुर, राजस्थान से निकलने वाला एक ऐसा ही पत्र है. इसमें मेघवंशी समुदायों से
संबंधित सामाजिक समस्याओं तथा विकासात्मक गतिविधियों के समाचार देखने को मिले. यह
साप्ताहिक पत्र है.
‘आपका
दोस्त’
(Apka
Dost) नूरपुर, हिमाचल प्रदेश से छपता है.
इसमें काफी विज्ञापन छपे हैं परंतु इनसे कितनी आय हो पाती होगी यह केवल अनुमान का
विषय है. इस पत्र में समाचारों की विविधता बहुत है. लोकप्रिय विषयों का विशेष
ध्यान रखा गया है.
‘राजा
बली समाज’
छपाई की दृष्टि से काफी साफ-सुथरा है. इसकी सामग्री का स्तर बेहतर जान पड़ा.
वैवाहिकी को समुचित स्थान दिया गया है. मुख्यतः सामाजिक विषयों को छूते आलेख इसमें
दिए गए हैं. यह इंदौर, मध्यप्रदेश से प्रकाशित होता है और
मासिक है.
‘वॉयस ऑफ़ बुद्धा’ (Voice of Buddha) पाक्षिक पत्र है जो ऑनलाइन भी है. यह अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों में जानकारी प्रदान करता है. इसके द्वारा दिए गए आँकड़ों की विश्वसनीयता इसका सकारात्मक पक्ष है. यह यूनीकोड में नहीं है अतः फाँट डाऊनलोड किए बिना इसे पढ़ना संभव नहीं.
'हक़दार' बीकानेर से छपता है. यह 1969 से छप रहा है. अद्भुत. सामग्री के हिसाब से अच्छा लग रहा है. इसके संपादक हैं पन्नालाल प्रेमी. (इसे मैंने 06-01-2011 को देखा है).
आज ही मेघयुग पर इस
विषय पर पोस्ट आई है जो इस लिंक पर उपलब्ध है- मेघयुग. धन्यवाद प्रमोद पाल
सिंह जी.
तिथि 20-09-2011
आज
एक पोस्ट के माध्यम से 11-09-2011
से मेघधारा
(Meghdhara) के
प्रकाशनारंभ संबंधी पोस्ट भी लिखी है. यह समाचार-पत्र मुख्यतः गुजराती और
अँग्रेज़ी में छपेगा.
राजस्थान
से एक समाचार पत्र 'दर्द की आवाज़' प्राप्त हुआ है जो रंगीन छपाई वाला है. इसके इस अंक से इसकी राजनीतिक
महत्वाकांक्षा स्पष्ट है. शुभकामनाएँ.
आज 20-08-2012 को
1. फेस बुक के माध्यम से श्री कामता
प्रसाद मौर्य ने सम्यक् भारत
पत्रिका के बारे में जानकारी दी है. इसके एक टाइटल का चित्र श्री प्रभु दयाल (सुश्री मायावती के पिता)
के हाथों में है जिसे देख कर सुखद आश्चर्य
हुआ. दलित मीडिया विकसित हो रहा है.
कामता प्रसाद मौर्य
जी का बलॉग बन चुका है आशा है इस पर हमें जानकारी पूर्ण आलेख मिला करेंगे.
3. फेस बुक से श्री गुणेश राठौड़ ने
जानकारी दी है कि बाड़मेर से
एक पत्रिका 'मेघवंश नवयुग' नामक पत्रिका का प्रकाशन शुरू हुआ है जिसका पहला अंक फरवरी 2012 में आया है. इसके मुख्य संपादक डॉ. नारायण मेघवाल हैं और इसका प्रकाशन
जनहितकारी सीमांत संस्था, बाड़मेर (राजस्थान) कर रही है.
अधिक
जानकारी मिलने पर उसे यहाँ देना चाहूँगा.
04 सितंबर 2012 को श्री आर.पी. सिंह ने ये प्रकाशन भेजे हैं-
मेघवंश कोलेरियन परिवार से संबंधित है. कोलेरियन मतलब कोली, कोरी, बुनकर परिवार. इसी परिवार ने उरई, उत्तर प्रदेश से एक पत्रिका 'झलकारी परिवार संदेश' (Jhalkari Parivar Sandesh) का प्रकाशन शुरु किया है.
04 सितंबर 2012 को श्री आर.पी. सिंह ने ये प्रकाशन भेजे हैं-
मेघवंश कोलेरियन परिवार से संबंधित है. कोलेरियन मतलब कोली, कोरी, बुनकर परिवार. इसी परिवार ने उरई, उत्तर प्रदेश से एक पत्रिका 'झलकारी परिवार संदेश' (Jhalkari Parivar Sandesh) का प्रकाशन शुरु किया है.
Very informative post.Plz, visit my blog.
ReplyDeleteइस तरह की पहल हमें आगत के प्रति आशान्वित करती है कि लोग समाज के लिए अपने उत्तरदायित्व एवं योगदान हेतु कृ्तसंकल्प हो चुके है. ऐसी प्रेरणादायक जानकारी साझा करने के लिए आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
बहुत बहुत आभार. मैं भी यही कहूँगा की शिक्षित बनो, सभी विषमतायें अपने आप दूर हो जायेंगी.
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी देता आलेख.
ReplyDeleteGood information.
ReplyDeleteInteresting information.... i did not know about Meghvanshi society... i would like to know more.
ReplyDeletewhat more information u wanna know u can ask to me i belong to meghvanshi society
DeleteBrahmanism has created such mental sickness (through irrational belief in caste/sub-caste/sectarianism, etc.) that can be treated only through rationalism and banning all such books that divide the human beings. However, this task is not done by the ruling classes, because they have benefited from it and intend to further exploit the Indian masses through this weapon. Megh/Meghowal/Meghwal Samaj (for whose awareness this Meghnet is being run) is also one of the greatest victims of said sickness. So much so that even each of them (Megh Samaj factions) do not cooperate with each other and each consider themselves as different people.
ReplyDeleteMEGHWAL SAMAJ KE SHUBH CHINTAK BHUSHAN JI KO MERA PRANAAM
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