21-10-2013
को
रात 10
बजे
एनडी टीवी पर 'रवीश की रिपोर्ट' कार्यक्रम में मेरठ की स्पोर्ट्स
इंडस्ट्री की बात की गई थी.
यह
जान कर अच्छा लगा कि उसमें
स्यालकोट से मेरठ आकर बसे समुदायों की स्थिति का भी ज़िक्र
था. उन्हें एक क्रिकेट बैट बनाने का बहुत कम मेहनताना मिलता है.
वे
क्रिकेट की गेंदें और विकेट
भी बनाते हैं.
जान
कर अच्छा लगा कि मेरठ में मेघ रोज़गार में हैं.
लेकिन
रवीश की रिपोर्ट इस बात को
रेखांकित करती है कि ये दलित समुदाय आज
भी सस्ते श्रम (लेबर)
के
रूप में उपलब्ध हैं और उनकी
स्थिति में सुधार की आवश्यकता
है.
क्या
मेघ श्रमिक और देश भर में फैले
असंगठित क्षेत्र (unorganized
Sector) के
श्रमिक बेहतर मेहनताने के
हकदार नहीं हैं?
रिपोर्ट का लिंक नीचे दिया है-
http://khabar.ndtv.com/video/show/ravish-ki-report/278467
MEGHnet
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