"इतिहास - दृष्टि बदल चुकी है...इसलिए इतिहास भी बदल रहा है...दृश्य बदल रहे हैं ....स्वागत कीजिए ...जो नहीं दिख रहा था...वो दिखने लगा है...भारी उथल - पुथल है...मानों इतिहास में भूकंप आ गया हो...धूल के आवरण हट रहे हैं...स्वर्णिम इतिहास सामने आ रहा है...इतिहास की दबी - कुचली जनता अपना स्वर्णिम इतिहास पाकर गौरवान्वित है। इतिहास के इस नए नज़रिए को बधाई!" - डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह


22 October 2013

Slavery of Meghvanshis - मेघवंशियों की गुलामी

जातियो में बँटे लोग एक नहीं हो पाते क्योंकि वे गुलामी के सिस्टम में पले होते हैं. हर जाति के नीचे कोई न कोई जाति या समूह है. उदाहरण के लिए मेघों को लगता है कि वे चर्मकारों से बेहतर हैं. यानि एक गुलाम इस लिए खुश है कि उसे दूसरे के मुकाबले एक कोड़ा कम पड़ा है. इसे आप गर्व कह लें, अभिमान कह लें.

वे नहीं समझ पा रहे कि ओबीसी, एससी और एसटी या उनसे अलग हो कर अन्य धर्मों में चले गए भाइयों की आपसी एकता गुलामियत को समाप्त कर सकती है.




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