हंगामा ही
हो गया कि देश की एक 'राष्ट्रीय
धार्मिक पुस्तक'
होनी
चाहिए.
ओके....ओके.
बना
लो भई....बना लो.
देश
में पहले भी कई राष्ट्रीय चीज़ें हो गुज़री हैं. जैसे कोई न कोई 'राष्ट्रकवि'
भी होता था बल्कि कई हो चुके होंगे (पता
नहीं कौन-कौन
था).
'राष्ट्रीय
योगी', राष्ट्रीय साधु-महात्मा
भी
दिखने लगे हैं. बाकी के राष्ट्रविरोधी नहीं हैं तो कम से कम ग़ैर-राष्ट्रीय तो होंगे ही.
देशी खबरों का हालिया इतिहास देखें तो एक 'राष्ट्रीय अपराध'-सा भी कुछ उभर कर आया है - 'बलात्कार'. चाहें तो इस शब्द को रिप्लेस कर लें लेकिन ख़बरों और ख़बरिया चैनलों को पहले जाँच लें. मतलब यूँ कि हर क्षेत्र में 'राष्ट्रीय' जैसा कुछ न कुछ है ज़रूर. जाति आधारित समाज में एक अति 'राष्ट्रीय जाति' का बिंब उभारें मारने लगा है जिस पर फोकस किए बगैर आपकी गाड़ी 'गाड़ी' कहला सकेगी इसमें संदेह है, सर! लेकिन, आप कुछ न कुछ 'राष्ट्रीय' करते रहिए. तभी तो हंगामा होगा, लोग देखेंगे. अच्छा लगता है!!
देशी खबरों का हालिया इतिहास देखें तो एक 'राष्ट्रीय अपराध'-सा भी कुछ उभर कर आया है - 'बलात्कार'. चाहें तो इस शब्द को रिप्लेस कर लें लेकिन ख़बरों और ख़बरिया चैनलों को पहले जाँच लें. मतलब यूँ कि हर क्षेत्र में 'राष्ट्रीय' जैसा कुछ न कुछ है ज़रूर. जाति आधारित समाज में एक अति 'राष्ट्रीय जाति' का बिंब उभारें मारने लगा है जिस पर फोकस किए बगैर आपकी गाड़ी 'गाड़ी' कहला सकेगी इसमें संदेह है, सर! लेकिन, आप कुछ न कुछ 'राष्ट्रीय' करते रहिए. तभी तो हंगामा होगा, लोग देखेंगे. अच्छा लगता है!!
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