रावण के मिथ को ले कर कई रोचक और भयानक कथाएँ प्रचलित हैं. इनमें से
कुछ रुचिकर हैं जिन्हें 'शब्द शिखर' ब्लॉग पर एक आलेख में संजोया गया है. इसे इस लिंक पर देखा जा सकता है
-->
दशहरे पर रावण की पूजा
एक और कथा फेसबुक से सामने आई है. उसे भी देखते हैं. रुचिकर है-
"श्रीलंका" यह रावण की लंका नही ।-
अनेक विद्वान इतिहासकारों ने रावण की लंका नर्मदा और सोनभद्र नदि के संगम के पास अमरकंठक पर्बत के उपर होने का दावा किया है। लंका मतलब ऊँचा टीला। लंका शब्द गौंडी भाषा का शब्द है। इसीलिए गौंड (द्रविड) राजा रावण कि लंका मध्य प्रदेश के अमरकंठक पर्बत पर थी ऐसा विद्वान मानते हैं। अमरकंठक पर्बत के पास ही बडा दलदली इलाका है, जिसे पार करना असंभव है, वही वाल्मीकि का समुंद्र है।
आज भी अमरकंठक पर्बत के पास "रावण ग्राम" नामक गौंड जाती के लोगों का गांव है। वहाॅ रावण की जमीन के उपर सोती हुई पत्थर कि मूर्ती है, और वहाॅ के लोग विजया दशमी के दिन "रावण बाबा" कहकर उसकी पूजा करते हैं। रावण बाबा उन्हें सुखी रखता है, ऐसी उनकी श्रध्दा है। (ज्यादा जानकारी के लिए पढीए दिवाकर डांगे लिखित मराठी ग्रंथ "रहस्य विश्वोत्पतीचे आणि इश्वराचे।".)
MEGHnet
.
ReplyDeleteThanks for the wonderful link !
.