चंडीगढ़ के एक प्रसिद्ध होमियोपैथ हैं डॉ. कास्ट्रो (Dr.J.B.D.
Castro). केरल
के हैं. इनके बहुत से मज़ेदार किस्से-कहानियाँ होमियोपैथी के सर्कल में मशहूर हैं.
चंडीगढ़ और आसपास के क्षेत्र में होमियोपैथी को लोकप्रिय बनाने में इनका कोई सानी
नहीं.
कैंसर पर लिखी इनकी पुस्तक ‘Cancer-Cause, Care & Cure’ को देखने का कल अवसर मिला. इसकी शुरूआत
ही यूँ थी, "हमने
एक अमूल्य जीवन खो दिया." कैंसर के एक मरीज़ को बहुत चुन कर दवा
दी गई. लेकिन मरीज़ की मृत्यु हो गई क्योंकि उसका इलाज करने वाले होमियोपैथ
चिकित्सकों की टीम नोटिस नहीं ले पाई कि मरीज़ बहुत उदास रहती थी. अन्य सभी लक्षणों के आधार पर उसे दवा दी जाती रही. हर चिकित्सा प्रणाली अपनी असफलताओं से सीखती है. पुस्तक नकारात्मक उदाहरण से
शुरू होती है और सकारात्मकता की ओर जाती है. टिपिकल कास्ट्रो और कास्ट्रोलॉजी !!
सुना है कि डॉ. कास्ट्रो के क्लीनिक में एक अत्याधुनिक जीवन शैली का पढ़ा-लिखा पंजाबी
जोड़ा आता था. दोनों में प्रेम था. सुंदर कद-काठी की महिला 40 वर्ष की और नौजवान
लड़का 23-24 का. बेमेल प्रेम का मामला था. कुछ समय बाद महिला को पता चला कि
उसके मित्र लड़के की मित्रता एक हमउम्र लड़की से भी हो गई थी. परेशान महिला डॉ. कास्ट्रो के
पास आई और कहा, “उस
लड़के को ऐसी दवा दो कि वह उस लड़की को छोड़ कर मेरे पास लौट आए.” कई लोग सोचते होंगे कि इसका दवा से क्या लेना-देना.
लेकिन आगे चल कर उस लड़के ने अपनी हमउम्र लड़की से शादी की
और शादी जम गई. इस मामले में ‘नेट्रम म्यूरिएटिकम’ नाम की दवा का ज़िक्र था जो बेमेल प्रेम
के मामले में कार्य करती है- जैसे नौकरानी से प्रेम आदि. कहते हैं डॉ. कास्ट्रो
ने उस लड़के को चुपचाप यह दवा दे कर मामला सही बैठा दिया. प्रेम में यदि वह महिला निराश हुई होगी तो उसे 'इग्नेशिया'
दे कर सँभाल लिया होगा.
मैं सोचता हूँ कि वह पंजाबी महिला अगर मेरा ब्लॉग आज पढ़ ले तो गला फाड़ कर
दहाड़ेगी, “डॉ.
कास्ट्रो! यू केरलाइट चीट!! आई विल नॉट स्पेयर यू. एंड भूषण !! यू चंडीगढ़ियन रैट...आई एम
नॉट गोइंग टू स्पेयर यू आइदर.”
पहली नज़र में लगता है कि उस महिला को उसके युवा मित्र ने धोखा दिया और
डॉक्टर ने भी धोखा दिया. सच यह भी है कि वह महिला खुद को धोखा दे रही थी.
जैसा कि कहा जाता है- डॉक्टर इज़ डॉक्टर. उसने दो युवाओं का जीवन बचा लिया जो अधिक महत्वपूर्ण है.
मैं डर रहा हूँ कि यदि असली बात से अनजान उस महिला ने मेरा ब्लॉग में सच को पढ़ लिया तो? लेकिन डर इस बात से दूर हो रहा है कि मेरा ब्लॉग हिंदी में है और फिर....डॉक्टर पास ही है न.
जैसा कि कहा जाता है- डॉक्टर इज़ डॉक्टर. उसने दो युवाओं का जीवन बचा लिया जो अधिक महत्वपूर्ण है.
मैं डर रहा हूँ कि यदि असली बात से अनजान उस महिला ने मेरा ब्लॉग में सच को पढ़ लिया तो? लेकिन डर इस बात से दूर हो रहा है कि मेरा ब्लॉग हिंदी में है और फिर....डॉक्टर पास ही है न.
गजब-गजब कार्य करते है ये तो।
ReplyDeleteहोमिओपैथी ऐसी ही है अफ़सोस है कि आजकल डॉ लोग भी मानसिक लक्षणों को बिना परखे, बीमारी की दवा देकर, रोगी को ठीक करने की उम्मीद रखते हैं !
ReplyDeleteहोमिओपैथी के सिद्धांतों को न समझना, और जागरूकता की कमी, रोगी को भी होमिओपैथी के प्रति हताश करने को काफी है !
शुभकामनायें आपको !
यह तो मजेदार है !
ReplyDeleteडा हैनीमेन ने एलोपैथी से निराश होकर जिस पद्धती की खोज की वही उनके नाम पर होम्योपैथी है। इस चिकित्सा मे मरीज के लक्षणों पर ध्यान दिया जाता है जैसे एक ही रोग मे रोगी के -स्त्री-पुरुष,मोटा-पतला,गोरा-काला,नाता-लंबा होने पर अलग-अलग दवा दी जाती है।
ReplyDeleteडा कास्टरों का निर्णय अच्छा रहा।
वाकई मजेदार
ReplyDeleteआदरणीय भूषण जी, आपका जवाब नहीं!
होमिओपैथी ज़िंदा बाद
ReplyDeleteडॉ. कास्ट्रो! यू केरलाइट चीट!! एंड भूषण !! यू चंडीगढ़ियन रैट...आई एम नॉट गोइंग टू स्पेयर यू आइदर.”
ReplyDelete.....यह तो मजेदार है....भूषण जी
होमियोपैथी पर वह महिला यह जान गई तब अच्छा होगा।
ReplyDeleteबहुत मज़ेदार है सर। :)
ReplyDeleteसादर
बहुत ही मजेदार बात बताई आपने //बहुत बधाई आपको /मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया /आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा /
ReplyDeleteमज़ेदार पोस्ट बहुत दिनों बाद कुछ हटकर पढ़ने को मिला... चिंता मत कीजिये अंकल... यदि उन्हें आपकी पोस्ट पढ़ भी ली तो डॉ.हैं ना ;)यहन तो एक नहीं कई सारे मिल जायेंगे :)
ReplyDeleteरोचक पोस्ट.
ReplyDeleteबहुत ही मजेदार प्रसंग ...
ReplyDeleteसर , जो प्रौढ़ महिला से आप जो डर अपने मन में महसूस कर रहे हैं,
ReplyDeleteतुरंत इसकी दवा आप खा लीजिए,
आपका डर भी दूर हो जाएगा.
...वैसे डरने के बजाय आपको तो ख़ुश होना चाहिए.
ReplyDeleteरास्ते का कांटा तो डा. कास्ट्रो ने ही साफ़ कर डाला.
इस एंगल से सोचिए और अपने किसी अकेले प्रौढ़ मित्र को ख़ुशहाल बना दीजिए,
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/BUNIYAD/
http://mankiduniya.blogspot.com/2011/08/blog-post_28.html
अच्छी जानकारी।
ReplyDeleteहोम्योपैथी में किस किस मर्ज की दवा है, प्रेमी जोडे को मिलाने की भी
वाह क्या कहने...
LOL Nice read !!!
ReplyDeleteमजा आ गया भूषण जी ...आपका तो जवाब नहीं ......
ReplyDeleteQuite interesting, though unbelievable !
ReplyDeleteबोले तो चमत्कार ...!! सच बहुत ही रोचक व बेहतरीन प्रसतुति ..आभार आपका ।
ReplyDeleteਬਲਾਗ ਤਾਂ ਹਿੰਦੀ 'ਚ ਹੈ....ਪਰ ਜੇ ਓਸ ਨੂੰ ਆਉਂਦੀ ਹੋਈ ਹਿੰਦੀ ਵੀ....ਤੇਰਾ ਕਿਆ ਹੋਗਾ ਕਾਲੀਆ ?
ReplyDeleteਖੇਰ....
ਬਹੁਤ ਵਧੀਆ ਪੋਸਟ !
हाय राम ! क्या-क्या होता है ..
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