इतिहास की नींव में एक बड़ा आम ख़्याल बसा होता है कि - "हम कहाँ से आए थे, हमारे पुरखे क्या करते थे." लोग यह सवाल इस लिए पूछते हैं क्योंकि उन्हें महसूस होता है कि बीते समय में कुछ न कुछ ऐसा रहा होगा जो उनके आज पर असर डाल रहा है.
इतिहास लिखने का रिवाज़ पड़ने से पहले की दुनिया वर्चस्व ('हम बड़े और यह हमारा है' वाले भाव) की छोटी-बड़ी लड़ाइयों से भरी होगी. जीतने वाला हारने वाले के वर्चस्व की निशानियों को मिटाता था. यही कारण है कि उस समय के बारे में हमें सबूत नहीं मिलते और हम उस वक्त की दुनिया का अनुमान लगाते हैं या नए-नए तरीकों से सबूत ढूँढते हैं, लोक-कथाओं और लोक-गीतों में छानबीन करते हैं.
एक-दो शताब्दी पहले तक इतिहास लिखने पर एक ख़ास जाति का अधिकार रहा जो अब ख़त्म हो रहा है. आज के इतिहासकारों ने साइंस के आधार पर इतिहास को फिर से लिखा है जिसने पुरानी सोच और मान्यताओं को तोड़ा है.
इसी सिलसिले में मेघवंश के इतिहास पर कई विद्वानों ने कार्य शुरू किया हुआ है. जिसकी पहली कड़ी के रूप में मैंने श्री आर.एल. गोत्रा के लंबे आलेख Meghs of India को देखा था. फिर उन्होंने Pre-historic Meghs नामक आलेख लिखा. उसी पर एक प्रेज़ेंटेशन बनाया जिसे यूट्यूब पर डाला है. जिसे यहाँ क्लिक करके आप देख सकते हैं.
MEGHnet
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