"इतिहास - दृष्टि बदल चुकी है...इसलिए इतिहास भी बदल रहा है...दृश्य बदल रहे हैं ....स्वागत कीजिए ...जो नहीं दिख रहा था...वो दिखने लगा है...भारी उथल - पुथल है...मानों इतिहास में भूकंप आ गया हो...धूल के आवरण हट रहे हैं...स्वर्णिम इतिहास सामने आ रहा है...इतिहास की दबी - कुचली जनता अपना स्वर्णिम इतिहास पाकर गौरवान्वित है। इतिहास के इस नए नज़रिए को बधाई!" - डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह


06 June 2020

Megh War Veterans - मेघ वीर योद्धा

कई वर्षों से यह विचार मन में उमड़-घुमड़ रहा था कि हमारे मेघ समुदाय से जो लोग सेना में गए हैं और युद्ध क्षेत्र में अपनी शूरवीरता के लिए कई पदक आदि भी प्राप्त किए हैं उनका कोई एक समेकित रिकॉर्ड होना चाहिए. इस बारे में मैंने एक-दो मंचों पर बात रखी थी कि किसी व्यक्ति को इस बारे में पहल कदमी करते हुए मेघ योद्धाओं से संबंधित डाटा और उनके जीवन से संबंधित जानकारी इकट्ठी करनी चाहिए. लेकिन बात बनी नहीं.

इसे संयोग कह लीजिए कि श्री गोपीचंद भगत के बारे में उनके सुपुत्र श्री महेंद्र पॉल ने लिखा. फिर अख़नूर के डॉ के. सी. भगत के ज़रिए मुझे वीर चक्र प्राप्त कैप्टेन तुलसीराम जी के बारे में जानने को मिला. यह भी मालूम हुआ कि जालंधर के ब्रिगेडियर आत्माराम जी को भी वीर चक्र प्राप्त हुआ था. उन्होंने पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में दुश्मन को उसके घर में घुस कर मारा था और उस युद्ध में उनकी एक आँख चली गई थी लेकिन उनके उत्साह और वीरता के जज़्बे का गर्म खून धमनियों में हमेशा धड़कता रहा. 1966-67 के आसपास वे चंडीगढ़ में हमारे घर आए थे तब उन्होंने अपने बारे में कुछ वाक्यों में अपने अनुभव की जानकारी दी थी. तब मेरी आयु 16-17 वर्ष रही होगी. उनकी बातें सुन कर गर्व महसूस होता था. संभवतः वे जाट रेजीमेंट में थे. उनके बारे में इससे अधिक जानकारी नहीं मिल पा रही.

पिछले दिनों ताराराम जी ने एक प्रोजेक्ट अपने हाथ में लिया है जिसमें वे मेघ योद्धाओं का डाटा और जानकारी एकत्रित कर रहे है. उन्होंने मुझसे भी जानकारी चाही. मेरे चाचा सूबेदार हरबंस लाल आर्मी में रहे थे और उन्होंने दूसरे विश्वयुद्ध में बरमा की लड़ाई में हिस्सा लिया था लेकिन उनके बारे में मेरे पास नाममात्र की ही जानकारी थी. उनके सुपुत्र और मेरे चचेरे भाई डॉ अशोक भगत के ज़रिए कुछ और जानकारी मिली जो मैंने ताराराम जी को भेज दी हैं. श्रीमती विजय रूजम ने अपने पिता कैप्टेन बेलीराम और श्री अशोक भगत ने अपने पिता सूबेदार गुलज़ारी लाल जी के बारे में जानकारी दी है जो ताराराम तक पहुँचा दी गई है. अन्य वीरों के नाम सामने आ रहे हैं. देखते हैं उनके बारे में कितनी जानकारी मिल पाती है. ताराराम जी के प्रयत्न से वह जानकारी और डाटा एक सुंदर और सुदृढ़ आकार ग्रहण कर रहा है और ये जानकारियाँ जल्दी ही पुस्तक रूप में प्राप्त हो जाएँगी.

जम्मू से बहुत से मेघ आर्मी आदि में गए हैं. किसी को उनके बारे में जानकारी इकट्ठी करनी चाहिए. वे जाँबाज़ हमारे समुदाय की शान हैं.

फिलहाल जो जानकारियाँ मिली हैं उसके दो लिंक इस ब्लॉग पर “वीर योद्धा” और “W.W.II के मेघ योद्धा” नाम से लगा दिए हैं. उसका संकेत नीचे दे दिया है.

2 comments:

  1. हमारे वीर योद्धाओं का उचित सम्मान हमें गर्व से भर देता है । हार्दिक नमन ।

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  2. अच्छा प्रयास है वीर यौद्धाओं का सामान और संकलन होना ही चाहिए ...

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