नागों, संपेरों और बीन पर आधारित दर्जनों फिल्में भारतीय फिल्म इंडस्ट्री ने दी हैं. उनमें से एक टी-सीरीज की बनाई हुई फिल्म ‘नागमणि’ देखने का सुखद अवसर मिला. यह अच्छे ग्रेड की फिल्मों में नहीं है. Anyhow.....
अब मनोरंजन इंडस्ट्री की क्रिएटिविटि देखिए. ‘नागमणि’ में 'नाग जाति' का स्पष्ट उल्लेख है. स्क्रीन पर एक उजड़ा हुआ मंदिर है (वैसे आज भी नाग जातियों के अधिकांश मंदिर उजड़े हुए ही हैं) और नाग पंचमी के दिन वहाँ नाग जाति के लोग आकर शिव की पूजा करते हैं. इस बात पर कई संदर्भ याद हो आए जैसे इतिहासकार नवल वियोगी की लिखी पुस्तक ‘Nagas - The Ancient Rulers of India’, आर.एल गोत्रा का आलेख - The Meghs of India जिसमें ऋग्वेद में उल्लिखित एक पात्र ‘वृत्र’ को ‘अहिमेघ’ यानि ‘नाग मेघ’ बताया गया है. फिलहाल आप संपेरों और उनकी बीन पर नज़र जमाए रखें.
इस फिल्म में एक मज़ेदार डायलॉग है - ‘नागराज जब बीन सुनते हैं तो वो नाचे बगैर नहीं रह सकते’. Very interesting. नाग जाति के हवाले से संपेरा कौन है इसे समझने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए लेकिन बीन को अलग से समझना ज़रूरी है. ‘बीन’ मेंटल कंडिशनिंग भी हो सकती है और मनोरंजन की लत भी (है वो भी मेंटल कंडिशनिंग). तो या तो नाग जातियों की मेंटल कंडिशनिंग कर दी गई या उन्हें मनोरंजन के मायाजाल में फाँस लिया गया. बाकी कहानी अंडरस्टुड है.
अब मनोरंजन इंडस्ट्री की क्रिएटिविटि देखिए. ‘नागमणि’ में 'नाग जाति' का स्पष्ट उल्लेख है. स्क्रीन पर एक उजड़ा हुआ मंदिर है (वैसे आज भी नाग जातियों के अधिकांश मंदिर उजड़े हुए ही हैं) और नाग पंचमी के दिन वहाँ नाग जाति के लोग आकर शिव की पूजा करते हैं. इस बात पर कई संदर्भ याद हो आए जैसे इतिहासकार नवल वियोगी की लिखी पुस्तक ‘Nagas - The Ancient Rulers of India’, आर.एल गोत्रा का आलेख - The Meghs of India जिसमें ऋग्वेद में उल्लिखित एक पात्र ‘वृत्र’ को ‘अहिमेघ’ यानि ‘नाग मेघ’ बताया गया है. फिलहाल आप संपेरों और उनकी बीन पर नज़र जमाए रखें.
इस फिल्म में एक मज़ेदार डायलॉग है - ‘नागराज जब बीन सुनते हैं तो वो नाचे बगैर नहीं रह सकते’. Very interesting. नाग जाति के हवाले से संपेरा कौन है इसे समझने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए लेकिन बीन को अलग से समझना ज़रूरी है. ‘बीन’ मेंटल कंडिशनिंग भी हो सकती है और मनोरंजन की लत भी (है वो भी मेंटल कंडिशनिंग). तो या तो नाग जातियों की मेंटल कंडिशनिंग कर दी गई या उन्हें मनोरंजन के मायाजाल में फाँस लिया गया. बाकी कहानी अंडरस्टुड है.
जहाँ तक 'मणि' का सवाल है वो नागों के सिर (दिमाग़) में थी और आज तक है. 'मणि' मतलब 'दिमाग़'. जिसके पीछे सँपेरा हाथ धो कर पड़ा होता है. वो या तो नाग को वश में कर के मणि चुरा लेगा या ख़ुद नष्ट हो जाएगा, यह स्क्रिप्ट राइटर पर डिपेण्ड करता है. वैसी स्क्रिप्ट तो आप भी लिख सकते हैं, नहीं? तो हे नागराज! जब आपके पास ज़बरदस्त 'मणि' है तो आप नई स्क्रिप्ट क्यों नहीं लिखते जिसमें आपकी 'मणि' सुरक्षित हो और उसकी चमक सब से बढ़ कर हो.
हाँ, अगर ज़्यादा जानकारी चाहिए तो इस लिंक पर चले जाइए. कुछ और लिंक भी हैं, देख लीजिए.
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दक्षिण भारतीय फिल्म ‘नागमणि’
'इच्छाधारी नाग' की बात अलग से करूँगा. उसका मामला ज़रा टेढ़ा है. 😂
यू-ट्यूब का यह लिंक तो बहुत कुछ बताता है. ग़ज़ब.
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