"इतिहास - दृष्टि बदल चुकी है...इसलिए इतिहास भी बदल रहा है...दृश्य बदल रहे हैं ....स्वागत कीजिए ...जो नहीं दिख रहा था...वो दिखने लगा है...भारी उथल - पुथल है...मानों इतिहास में भूकंप आ गया हो...धूल के आवरण हट रहे हैं...स्वर्णिम इतिहास सामने आ रहा है...इतिहास की दबी - कुचली जनता अपना स्वर्णिम इतिहास पाकर गौरवान्वित है। इतिहास के इस नए नज़रिए को बधाई!" - डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह


28 May 2014

Tomb of a Meghvanshi in World Heritage - मेघवंशी का निर्वाण-स्थल - विश्व धरोहर

डॉ. नितिन विनज़ोदा ने फेसबुक पर पाकिस्तान स्थित नेक्रोपोलीज़ (necropolis) का उल्लेख किया और बताया कि ममैदेव का मक़बरा भी थट्टा के पास मक्ली के नेक्रोपोलीज़ में बना है. यहीं लिखता चलता हूँ कि ममैदेव महेश्वरी मेघवारों के पूज्य हैं जो मातंग (जिन्हें मातंग देव या मातंग ऋषि भी कहा जाता है) के वंशज हैं. यह पढ़ कर मन दौड़ पड़ा. क्या करूँ मेरी कल्पना के घोड़े बहुत जंगली हैं.

मातंग देव मेघवंशी हैं ('मातंग' का अर्थ ही 'मेघ' है) और पटना (बिहार) में जन्म लेने के बाद वे गुजरात की ओर आकर एक बड़े भूभाग पर शस्त्रबल से यहाँ अपना शासन स्थापित करते हैं. मातंग देव बारमती पंथ के संस्थापक हैं और ममैदेव ने इस पंथ का खूब विस्तार किया. जितना इस पंथ के बारे में पढ़ा है उससे लगा कि मूल रूप से यह बौध धर्म से मेल खाता है. 

फेसबुक पर एक ग्रुप है जिसका नाम है- Anonymous Sons of Pakistan. यह गैर-मुस्लिम लोगों का समूह है जो पाकिस्तान में रहते हैं और अपनी प्राचीन विरासत को जीवित रखने के लिए सक्रिय और संघर्षशील हैं. इस समूह ने थट्टा के नेक्रोपोलीज़ का यह सुंदर चित्र दिया था जो वास्तुकला (architecture) और कारीगरी का अनूठा नमूना है.
वैसे तो मेघवंशी भारत और पाकिस्तान में विभिन्न नामों से बसे हैं लेकिन थट्टा और मक्ली में मेघवंश का नया संदर्भ मिला - ममैदेव का निर्वाण स्थल.
ममैदेव का निर्वाण स्थल
किसी मेघवंशी का मकबरा (क़ब्र) होना आप में से कइयों को चौंका सकता है. लेकिन सिंधुघाटी सभ्यता जिसे आर्कियालोजिस्ट मोहंजो दाड़ो (कई हिंदी पुस्तकों में 'मोहन जोदड़ो' लिखा है) के बारे में जानकारी रखने वाले जानते हैं कि उस सभ्यता में शवों को भूमि में गाड़ने की परंपरा थी. मोहंजो दाड़ो का अर्थ 'शवों का टीला' है. देश भर की वंचित जातियों का इतिहास इन्हीं सभ्यताओं में अपना मूल देख पाता है.  आर्यों द्वारा वहाँ नागवंशियों और मेघवंशियों का संभवतः बड़े स्तर पर नरसंहार किए जाने के कारण इस स्थान का नाम 'मोहंजो दाड़ो' पड़ा था
यहाँ ममैदेव भूगर्भित हुए
मक्ली में श्री ममैदेव सहित कई सूफ़ी-संतों के मक़बरे हैं. मक्ली की इस धरोहर को यूनेस्को ने विश्वधरोहर (World Heritage) के रूप में मान्यता दी है. सो ममैदेव, एक मेघवंशी संत का निर्वाण स्थल विश्वधरोहर में है.   
निर्वाण स्थल का भीतरी दृष्य
बारमती पंथ, मेघवार, मेघरिख, मातंगदेव, ममैदेव और उनकी संबंधित परंपराओं आदि के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप डॉ. मोहन देवराज थोंट्या, कराची, पाकिस्तान के आलेखों को इन लिंक्स पर अवश्य देखें. इनमें बहुत सी जानकारी भरी हुई है-
Dr. Mohan Devraj Thontya



MEGHnet

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