डॉ.
नितिन
विनज़ोदा ने फेसबुक पर पाकिस्तान
स्थित नेक्रोपोलीज़ (necropolis)
का उल्लेख
किया और बताया कि ममैदेव का
मक़बरा भी थट्टा के पास मक्ली
के नेक्रोपोलीज़ में बना है.
यहीं लिखता चलता हूँ कि
ममैदेव महेश्वरी मेघवारों
के पूज्य हैं जो मातंग (जिन्हें
मातंग देव या मातंग ऋषि भी कहा
जाता है)
के वंशज
हैं. यह
पढ़ कर मन दौड़ पड़ा.
क्या
करूँ मेरी कल्पना के घोड़े
बहुत जंगली हैं.
मातंग देव मेघवंशी हैं ('मातंग' का अर्थ ही 'मेघ' है) और पटना (बिहार) में जन्म लेने के बाद वे गुजरात की ओर आकर एक बड़े भूभाग पर शस्त्रबल से यहाँ अपना शासन स्थापित करते हैं. मातंग देव बारमती पंथ के संस्थापक हैं और ममैदेव ने इस पंथ का खूब विस्तार किया. जितना इस पंथ के बारे में पढ़ा है उससे लगा कि मूल रूप से यह बौध धर्म से मेल खाता है.
मातंग देव मेघवंशी हैं ('मातंग' का अर्थ ही 'मेघ' है) और पटना (बिहार) में जन्म लेने के बाद वे गुजरात की ओर आकर एक बड़े भूभाग पर शस्त्रबल से यहाँ अपना शासन स्थापित करते हैं. मातंग देव बारमती पंथ के संस्थापक हैं और ममैदेव ने इस पंथ का खूब विस्तार किया. जितना इस पंथ के बारे में पढ़ा है उससे लगा कि मूल रूप से यह बौध धर्म से मेल खाता है.
फेसबुक
पर एक ग्रुप है जिसका नाम है-
Anonymous
Sons of Pakistan. यह
गैर-मुस्लिम लोगों का समूह है जो पाकिस्तान में रहते हैं और अपनी प्राचीन विरासत
को जीवित रखने के लिए सक्रिय और संघर्षशील हैं. इस समूह ने थट्टा के नेक्रोपोलीज़
का यह सुंदर चित्र दिया था जो वास्तुकला (architecture) और कारीगरी का अनूठा नमूना है.
वैसे तो मेघवंशी भारत और पाकिस्तान
में विभिन्न नामों से
बसे हैं लेकिन थट्टा और मक्ली में मेघवंश का नया संदर्भ मिला - ममैदेव
का निर्वाण स्थल.
ममैदेव का निर्वाण स्थल |
किसी
मेघवंशी का मकबरा (क़ब्र)
होना
आप में से कइयों को चौंका सकता
है.
लेकिन
सिंधुघाटी सभ्यता जिसे
आर्कियालोजिस्ट मोहंजो दाड़ो
(कई हिंदी पुस्तकों में 'मोहन
जोदड़ो' लिखा है)
के
बारे में जानकारी रखने वाले
जानते हैं कि उस सभ्यता में
शवों को भूमि में गाड़ने की
परंपरा थी.
मोहंजो
दाड़ो का अर्थ 'शवों
का टीला'
है. देश भर की वंचित जातियों का इतिहास इन्हीं सभ्यताओं में अपना मूल देख पाता है. आर्यों द्वारा वहाँ नागवंशियों
और मेघवंशियों का संभवतः बड़े स्तर
पर नरसंहार किए जाने के कारण
इस स्थान का नाम 'मोहंजो दाड़ो' पड़ा था.
यहाँ ममैदेव भूगर्भित हुए |
निर्वाण स्थल का भीतरी दृष्य |
Dr. Nitin Vinzoda |
MEGHnet
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