"इतिहास - दृष्टि बदल चुकी है...इसलिए इतिहास भी बदल रहा है...दृश्य बदल रहे हैं ....स्वागत कीजिए ...जो नहीं दिख रहा था...वो दिखने लगा है...भारी उथल - पुथल है...मानों इतिहास में भूकंप आ गया हो...धूल के आवरण हट रहे हैं...स्वर्णिम इतिहास सामने आ रहा है...इतिहास की दबी - कुचली जनता अपना स्वर्णिम इतिहास पाकर गौरवान्वित है। इतिहास के इस नए नज़रिए को बधाई!" - डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह


20 March 2015

Sanskrit - संस्कृत


भाषा का विद्यार्थी रहा हूँ. कभी हिंदी या संस्कृत के बारे में कुछ नया पढ़ने को मिल जाता है तो उसे दिल में बिठाता हूँ. फेसबुक पर संस्कृत के बारे में एक पोस्ट देखी उसे यहाँ सहेज रहा हूँ. इसमें मेरे लिए जानकारी भी है और आश्चर्य भी.



MEGHnet



Here's your dose of happy for the day.
Posted by The Huffington Post on Thursday, 5 March 2015

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