कालेज के दिनों में सुदर्शन मुनि जी से सैक्टर-18, चंडीगढ़ की एक धर्मशाला में मिलने का मौका मिला था. मुझे मेरे जीजा जी श्री सत्यव्रत शास्त्री जी उनसे मिलवाने ले गए थे. उसके बाद वे एक बार मेरे पिता भगत मुंशीराम जी से मिलने के लिए हमारे घर आए थे तब मैं चंडीगढ़ से बाहर नौकरी कर रहा था. मैंने अपने जीवन में केवल एक ही मेघ भगत को जैन मुनि के रूप में देखा है.
जानने की उत्सुकता थी. कई वर्ष बाद पता चला कि वे ऊधमपुर, जम्मू में केंद्र बना कर कार्य कर रहे थे. फिर पता चला कि वे लुधियाना में भी रहे और वहाँ उनके शिष्यों ने उनके लिये एक आश्रम बनवा दिया था. कुछ दिन पूर्व श्री इंद्रजीत मेघ से बात की तो उन्होंने कुछ और संकेत दिए. समय पाकर मैंने उनसे वीडियो के रूप में जानकारी देने के लिए कहा जिससे मालूम पड़ा कि उन्होंने आर.एस. पुरा, जम्मू में एक जैन स्कूल भी बनवाया था जो उनके व्यक्तित्व की उपलब्धि है. इसी प्रकार पठानकोट, पंजाब भी उनकी कर्मभूमि रही. उस बातचीत को आप नीचे दिए वीडियो के लिंक में देख सकते हैं.
जानने की उत्सुकता थी. कई वर्ष बाद पता चला कि वे ऊधमपुर, जम्मू में केंद्र बना कर कार्य कर रहे थे. फिर पता चला कि वे लुधियाना में भी रहे और वहाँ उनके शिष्यों ने उनके लिये एक आश्रम बनवा दिया था. कुछ दिन पूर्व श्री इंद्रजीत मेघ से बात की तो उन्होंने कुछ और संकेत दिए. समय पाकर मैंने उनसे वीडियो के रूप में जानकारी देने के लिए कहा जिससे मालूम पड़ा कि उन्होंने आर.एस. पुरा, जम्मू में एक जैन स्कूल भी बनवाया था जो उनके व्यक्तित्व की उपलब्धि है. इसी प्रकार पठानकोट, पंजाब भी उनकी कर्मभूमि रही. उस बातचीत को आप नीचे दिए वीडियो के लिंक में देख सकते हैं.
( इस जैनमुनि के बारे में मेघ समाज बहुत कम जानता है. दर्शन मुनि जी की कोई फोटो या उनके जीवन के बारे में कोई जानकारी आपके पास हो तो कृपया bhagat.bb@gmail.com पर अवश्य भिजवाएँ.)
MEGHnet
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