"इतिहास - दृष्टि बदल चुकी है...इसलिए इतिहास भी बदल रहा है...दृश्य बदल रहे हैं ....स्वागत कीजिए ...जो नहीं दिख रहा था...वो दिखने लगा है...भारी उथल - पुथल है...मानों इतिहास में भूकंप आ गया हो...धूल के आवरण हट रहे हैं...स्वर्णिम इतिहास सामने आ रहा है...इतिहास की दबी - कुचली जनता अपना स्वर्णिम इतिहास पाकर गौरवान्वित है। इतिहास के इस नए नज़रिए को बधाई!" - डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह


08 March 2015

Holi, Diwali - होली, दीपावली

मित्रता और भाइचारे के नाम पर मनाया जाने वाला बत्तमीज़ियों भरा होली का त्योहार आने वाला है. होलिका दहन की कथा आजतक मुझे कभी हज़म नहीं हुई कि होलिका ने अपने भाई राजा हिरण्यकशिपु के कहने पर फायरप्रूफ सूट पहना और अपने भतीजे बालक प्रह्लाद को जलाने के लिए आग में कूद गई क्योंकि वह भक्ति करता था. पूछो तो सही कि होलिका को आग लगाने वाले कौन लोग थे, राजा हिरण्यकशिपु के सेवक थे या उसके शत्रु थे जो उसका राज्य हड़पना चाहते थे? आगे चल कर हिरण्यकशिपु की धोखे से हत्या कर दी जाती है. 

इसी सीरियल का पार्ट टू है कि पिता की हत्या के बाद प्रह्लाद राजा बनता है और काफी समय तक होलिका पर खलनायिका का लेबल लगा कर उसे जला डालने वाले लोग कहानी में दो पीढ़ी तक नज़र नहीं आते. फिर वे प्रह्लाद के पोते और न्यायप्रिय राजा महाबली (स्पैलिंग चैक कर लें - बली या बलि) के समय फिर प्रकट होते हैं और उसके ही दरबार में उसकी हत्या हो जाती है. (कोई ब्राह्मण/वामन उसका राज्य छीन कर उसे पाताल में दफ़्ना देता है). सीरियल के विज़ुअल देखें तो होलिका, हिरण्यकशिपु और राजा महाबली की हत्या धोखे से की गई है. फिर उसके बाद महाबली की महालक्ष्मी (सम्राट का खज़ाना), शिक्षा, राजपाट, धर्म आदि जैसी सारी व्यवस्थाएँ ब्राह्मणों के हाथ में चली जाती हैं. यह कथा दीपावली पर लक्ष्मी के विष्णु नामक ब्राह्मण देवता के घर आगमन के साथ समाप्त होती है.


हे मेघनेट के पाठको अगली होली और दीवाली से पहले ब्राह्मणों के लिखे इस सीरियल की कहानी को क्लीयर कर लो यारो कि यह देश आख़िर गरीबों का देश कैसे बन गया? 


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