नेट पर ढूँढते हुए मुझे एक और लिंक मिला जिसमें मेघों-मेघ भगतों के मूल का वर्णन किया गया था. यह रोचक है कि इससे भगत मुंशीराम ने अपनी पुस्तक मेघ-माला में जो जानकारी दी थी उसकी पुष्टि हो रही थी.
http://www.indianetzone.com/49/tribes_kashmir.htm
इस लिंक पर लिखा है-
इस लिंक पर लिखा है-
"Megh Tribe: They form a more than fair proportion of the population and have undergone numerous disabilities, civic and religious. There are several interesting theories regarding the origin of the Meghs. They were originally Kshatriyas but, in order to escape destruction at the hands of Paras Ram Brahmin of the Ramayana period, they adopted the profession of weaving and called themselves Meghs."
"मेघ ट्राइब : जनसंख्या अनुपात में इनकी जनसंख्या काफी अधिक है और वे कई नागरिक और धार्मिक अपात्रताओं से गुज़रे हैं. मेघों के मूल के बारे में कई रुचिकर सिद्धांत हैं. वे मूलतः क्षत्रिय थे, लेकिन रामायण के ब्राह्मण परशुराम द्वारा किए जा रहे विध्वंस से बचने के लिए उन्होंने बुनकरी का व्यवसाय अपना लिया और ख़ुद को मेघ कहा."
इसे ध्यान से पढ़ा जाए तो इसमें मुख्य बात इतनी-सी है कि मेघ कई अन्य जातियों की तरह क्षत्रिय थे लेकिन राजनीतिक लड़ाई हारने के बाद उन्हें बुनकरी का व्यवसाय अपनाना पड़ा. रामायण में जो लिखा है उसके अनुसार उनके नया व्यवसाय अपनाने का कोई समय निर्धारित नहीं किया जा सकता. वैसे भी यह मेघों के मूल यानि आदिपुरुष या वंशकर्ता का कोई पता नहीं देता. आज उसे ढूँढने की कोई तुक भी नहीं बैठती. लेकिन यह एक और संदर्भ है जो बताता है कि मेघ क्षत्रिय रहे हैं. औद्योगीकरण की वजह से और अंगरेज़ी शासन के दौरान सरकारी नीतियों के कारण बुनकरी का व्यवसाय तबाह होने से इनकी आर्थिक हालत बहुत अधिक खराब हुई और अन्य व्यवसाय अपनाने में बहुत-सी सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षणिक बाधाएँ खड़ी थीं जिन्हें पार करने के लिए ये संघर्षरत हैं.
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